देहरादून – उत्तराखंड हाईकोर्ट ने धामी सरकार को झटका देते हुए चमोली की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को बड़ी राहत दी है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रजनी भंडारी को जिला पंचायत चमोली के अध्यक्ष पद पर बने रहने का आदेश दिया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने धामी सरकार के आदेश पर स्टे लगा दी है। यह जानकारी रजनी भंडारी के पति और बद्रीनाथ विधानसभा के विधायक राजेंद्र भंडारी ने दी है।
हाईकोर्ट ने वेकेशन जज न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ ने चमोली जिले की बर्खास्त जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी की बर्खास्तगी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी बर्खास्तगी आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें बहाल कर दिया है। साथ ही उच्च न्यायालय ने सरकार से पंचायती राज नियमावली का ठीक से पालन करने की नसीहत भी दी है। रजनी भंडारी के हटते ही जिला पंचायत अध्यक्ष की जिम्मेदारी जिला पंचायत उपाध्यक्ष लक्ष्मण रावत को दे दी गई थी।
बता दें कि पूर्व ब्लाक प्रमुख नंदन सिंह बिष्ट की शिकायत पर जांच की सिफारिश के बाद पंचायती राज विभाग की ओर से बीती 25 जनवरी को एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें तत्कालीन चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी को उनके पद से हटा दिया गया था। रजनी भंडारी पर साल 2012-13 में नंदाराजजात यात्रा मार्ग पर विकास कार्यों से संबंधी निविदाओं में गड़बड़ी का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने इस दौरान अपने दायित्व का उचित निर्वहन नहीं किया है।
वही रजनी भंडारी ने खुद को चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष के पद से हटाए जाने उत्तराखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर कल 31 जनवरी और आज 1 फरवरी को उत्तराखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। दोनों दिनों की बहस के बाद कोर्ट ने धामी सरकार के आदेश पर रोक लगा दी और रजनी भंडारी को जिला पंचायत चमोली के अध्यक्ष पद पर बने रहने का आदेश दिया है। रजनी भंडारी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने इस केस की पैरवी की थी। वही यह मामला उत्तराखंड हाई कोर्ट के वेकेशन जज न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने सुना था। रजनी भंडारी के वकील का कोर्ट में तर्क था कि उन्हें राजनीति द्वेष की भावना से हटाया है क्योंकि एक व्यक्ति की शिकायत पर उन्हें पद से हटाया गया है, जबकि मामले की जांच भी नहीं हुई है।