देहरादून – केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में नई बिजली लाइनों सब स्टेशनों का निर्माण और बिजली लाइनों को अंडरग्राउंड करने के लिए ₹2600 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दे दी है। आरडीएसएस योजना के तहत दिए जाने वाले इस बजट को केंद्र ने बिना किसी कटौती के हरी झंडी दी है। इस मंजूरी से माना जा रहा है कि राज्य की बिजली व्यवस्था में सुधार होगा।
ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि नई दिल्ली में रीजनल पावर कमेटी की बैठक में पेश किए गए राज्य के प्रोजेक्ट को बिना किसी कटौती के मंजूरी दी गई है। इस योजना में बिजली चोरी और लाइन लॉस रोकने के लिए एबी केबल बिछाई जाएगी, लो वोल्टेज वाले 33 केवी 11 केवी की लाइनों और ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। नई बिजली लाइनों का विस्तार होगा, सब स्टेशनों की क्षमता बढ़ेगी। आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि बिजली सप्लाई सिस्टम को मजबूत करने के लिए देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर, टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, चमोली समेत अल्मोड़ा बागेश्वर पिथौरागढ़ चंपावत में सब स्टेशनों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। हल्द्वानी शहर में बिजली लाइनों को भी अंडर ग्राउंड किया जाएगा।
सुंदरम ने बताया कि आरडीएसएस योजना को लेकर राज्य की ओर से उठाए गए कदमों से केंद्र पूरी तरह संतुष्ट है। सभी सुधारों को उत्तराखंड ने पूरा किया है। बैठक में उत्तराखंड की सचिव ऊर्जा के साथ एमडी अनिल कुमार, नोडल ऑफिसर आरडीएसएस सुधीर कुमार सिंह मौजूद रहे।
ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा की आरडीएसएस योजना में केंद्र सरकार उत्तराखंड की प्रगति से पूरी तरह संतुष्ट है। राज्य के बजट में किसी भी तरह की कटौती नहीं की गई और न ही बजट को रोका गया। अब पूरा फोकस इस योजना को तेजी के साथ पूरा करने और इसके जरिए पावर सप्लाई सिस्टम को सुधारने पर रहेगा।
आरडीएसएस योजना में एडवांस मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर सिस्टम के तहत स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। 16 लाख घरों में स्मार्ट मीटर लगेंगे। इसके लिए केंद्र के स्तर से 22 प्रतिशत वित्तीय सहायता दी जाएगी। शेष बजट स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी को अपने स्तर पर खर्च करना होगा। मीटर लगाने ऐप पर 1 बिलिंग सिस्टम विकसित करने के साथ ह मोबाइल एप भी विकसित करना होगा।
सचिन सुंदरम ने बताया कि ऊर्जा निगम की वित्तीय स्थिति सुधरी है बिजली बिलों का कनेक्शन कलेक्शन 98.14 प्रतिशत पहुंच गया है घाटा 40 पैसे से कम होकर एक पैसे प्रति यूनिट पर पहुंच गया है। इसे पूरी तरह समाप्त किया जाएगा। घाटा 2019-20 में 577 करोड रहा, जो 2020-21 में 151 करोड़ और 2021-22 में 21 करोड़ रह गया है।