

दीक्षान्त समारोह में छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि हमें बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को जन-सुलभ और सर्व सुलभ बनाने की दिशा में कार्य करना होगा। चिकित्सा सेवाएं दूर-दराज के ग्रामीणों तक आसानी से पहुंचे और सभी को समान चिकित्सा सुविधा मुहैया हो, यह हमारा उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स उत्तराखण्ड के सीमांत क्षेत्रों तथा गांवों में अपनी सेवाएं देने के लिए तत्पर रहें। राज्य के दूरदराज क्षेत्रों से लोग स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण पलायन न करें, ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में हमारे सामने अधिक चुनौतियां हैं, आप सभी के सहयोग से इस क्षेत्र में हमें नेतृत्व करना होगा।

राज्यपाल ने कहा कि डॉक्टर्स निस्वार्थ सेवा की भावना से काम करें। जरूरतमंद, गरीबों, वंचितों, महिलाओं, बुजुर्गों को सर्वोच्च प्राथमिकता पर मदद करें। उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के गैप को टेक्नोलॉजी के माध्यम से खत्म किया जा सकता है। राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व सभी सरकारी अस्पतालों में अधिक से अधिक टेक्नोलॉजी को बढ़ावा मिलना चाहिए। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, टेलिफोनिक कंसलटेंसी, डिजिटाइजेशन ऑफ रिकॉर्ड्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, बिग डाटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग को अधिक से अधिक अपनाया जाना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 की महामारी के दौरान हमारे डॉक्टर, नर्स तथा समस्त पैरामेडिकल स्टाफ ने हेल्थ वॉरियर्स की भूमिका में कार्य किया है। उन्होंने अपने फर्ज से भी आगे बढ़कर मानवता का धर्म निभाया है। हमारे हेल्थ वॉरियर्स ने अपने जीवन को जोखिम में डालकर लाखों जीवन बचाये हैं। आपकी इस महान मानव सेवा, अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण भाव दिखाता है।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में विशेषकर मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में हम जितने रिसर्च कर रहे हैं, साथ-साथ चुनौतियां भी बड़ी होती जा रही हैं। डॉक्टरों और नर्सों को पूरी दुनिया में बहुत सम्मान की नजर से देखा जाता है। विशेष रूप से भारत में जहां उन्हें भगवान के रूप में सम्मानित किया जाता है।






