हरिद्वार/रुड़की – बसपा के विधायकों ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आए परिणाम के लिए प्रदेश नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने प्रदेश प्रभारी, अध्यक्ष और उनके पिता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही चुनाव में उनकी अनदेखी का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि अगर संगठन को मजबूत करना है तो प्रदेश नेतृत्व को बदलना होगा। लक्सर विधायक मौहम्मद शहजाद ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में हालात बुरे रहे हैं इसमें निष्पक्षता का अभाव रहा। जो लोग चुनाव प्रक्रिया को सम्पन्न करवा रहे हैं वह भी सवालों के घेरे में हैं।
उन्होंने कहा कि नारसन, बहादराबाद,भगवानपुर और रुड़की में लाठी का इस्तेमाल किया गया। इसकी हम घोर निन्दा करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस चुनाव में पार्टी की जो स्थिति हुई है उसके लिए प्रदेश नेतृत्व जिम्मेदार हैं। चुनाव के लिए कमेटी बनाई जाती है जिसमें संगठन के महत्वपूर्ण लोगों के साथ ही विधायकों को शामिल किया जाता है। लेकिन पहली बार ऐसा पार्टी में देखने को मिला है कि प्रत्याशी घोषित करने के लिए कमेटी नही बनाई गई। प्रदेश प्रभारी जीएस दिनकर, नरेश गौतम, प्रदेश अध्यक्ष आदित्य ब्रजवाल और पूर्व विधायक हरिदास की मर्जी से प्रत्याशियों की घोषणा की गई। इसमें मुस्लिमों की अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि काशीराम ने बसपा को जिस उद्देश्य से बनाया था उसमे दलित और मुस्लिमों को बराबर सम्मान दिया जाना था। इसके साथ ही अन्य कई सामान्य सीटों पर दलित लोग लड़ाए गए। क्षेत्रीय जाती समीकरणों के आधार पर टिकट वितरण नही किए गए। टिकट वितरण में दोनों विधायकों से कोई सलाह नही की गई न ही पूछा गया बल्कि चुनाव में यह कहा गया कि हम पार्टी के लिए काम नही करेंगे।
मंगलौर विधायक सरवत करीम अंसारी ने कहा कि हमे कहीं भी पूछा नही गया। इस पूरे चुनाव में पार्टी ने दोनों विधायकों को नजरंदाज किया है। उन्होंने कहा कि 44 सीटों में 28 पर दलित लड़ाए गए सामान्य सीटों पर दलित को चुनाव लड़ाया गया। सर्वसमाज को सम्मान दिया जाना चाहिए था। आरोप लगाया कि जिन लोगों ने अन्य पार्टियों को विधानसभा चुनाव लड़ाया उन्हे बसपा प्रदेश नेतृत्व में चुनाव लड़ाया गया। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी को बचाने के लिए हाईकमान को निर्णय लेना होगा।