देहरादून (एस एस तोमर) – सियासत का केंद्र बिंदु रहा गैरसैंण आज भी सियासी दलों के निगाह से गैर ही होते जा रहा है। गैरसैंण पर सभी राजनीतिक दल सियासत तो करते हैं, लेकिन एजेंडे में गैरसैंण बहुत दूर दिखता है। यह हम इसलिए कह रहे है, क्योंकि ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित हो चुकी गैरसैंण में अब ग्रीष्मकालीन विधानसभा सत्र होते हुए नहीं दिख रहा है। सरकार के नुमाइंदे यह हवाला दे रहे हैं की चार धाम यात्रा चरम पर चल रही है, लाखों की संख्या में यात्री उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं। ऐसे में पुलिस बल की भी खासी कमी उत्तराखंड सरकार के पास है, साथ ही पर्यटन प्रदेश में पार्किंग की भी काफी समस्याएं हैं। इस हवाले को लेकर यह संकेत मिल रहे हैं की गैरसैंण में यह सत्र नहीं होने की संभावना जताई जा रही है।
संसदीय एवं कार्य मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कुछ रोज पहले हम से बात करते हुए कहा था कि, यह सत्र गैरसैंण में 7 जून से हो सकता है, हालाकी इसको लेकर अभी कैबिनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है, लेकिन कुछ रोज बाद ही मंत्री ने अपने बयानों का रुख बदलते हुए कहा कि 10 जून को देहरादून में राज्यसभा के लिए वोटिंग होनी है, और चार धाम यात्रा में लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। वह बाधित ना हो इन सभी मामलों को देखते हुए सरकार गहनता से मंथन कर रही है।
उधर बीते रोज पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने चमोली में पत्रकारों से मुखातिब होते हुए बयान जारी किया कि गैरसैंण में यह सत्र होगा या नहीं इसको लेकर विचार किया जा रहा है क्योंकि चार धाम यात्रा अपने चरम पर चल रही है। यात्रियों को दिक्कत ना आए इसको देखते हुए निर्णय लिया जाएगा। अहम सवाल यह है कि चार धाम यात्रा हर साल चलेगी और लाखों की संख्या में श्रद्धालु चार धाम यात्रा में भगवान बद्री विशाल और बाबा केदार के दर्शन करने पहुंचेंगे? तो क्या चार धाम का हवाला देकर सरकार ग्रीष्मकालीन राजधानी में ग्रीष्मकालीन सत्र नहीं करेगी? हालांकि इसको लेकर विपक्ष का क्या रुख होगा यह देखने वाली बात होगी।