8 साल की बच्ची को MP पुलिस में नौकरी, SP ने सौंपा ज्वाइनिंग लेटर – जानें सैलरी और जिम्मेदारियां l

मध्य प्रदेश l उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में चौथी कक्षा की छात्रा ईच्छा रघुवंशी को पुलिस विभाग में नौकरी मिल गई है। बच्ची की उम्र महज 8 साल है। यह नियुक्ति उसके पिता, प्रधान आरक्षक देवेंद्र सिंह रघुवंशी, की याद में दी गई है, जिनका 17 मई 2025 को हार्ट अटैक के कारण असमय निधन हो गया था।

बच्ची की नियुक्ति की प्रक्रिया बेहद तेज रही। एसपी प्रदीप शर्मा ने आवेदन मिलने के महज 25 मिनट में उसे स्वीकार कर बाल आरक्षक बना दिया और ज्वाइनिंग लेटर भी सौंप दिया।

बाल आरक्षक क्यों बनाए जाते हैं

ईच्छा रघुवंशी अपने पिता की एकमात्र संतान हैं। पुलिस नियमों के अनुसार, किसी पुलिसकर्मी की असमय मृत्यु होने पर उसके नाबालिग बच्चों को बाल आरक्षक बनाया जाता है। इस व्यवस्था का उद्देश्य बच्चों के परिवार को आर्थिक मदद देना और उन्हें पुलिस विभाग की प्रक्रियाओं, अनुशासन और जिम्मेदारियों से परिचित कराना है।

बाल आरक्षक 18 वर्ष की उम्र तक पढ़ाई के साथ-साथ थाने के छोटे-मोटे काम करते हैं। 18 साल पूरे होने और 10वीं पास करने के बाद उनका स्थायी आरक्षक के रूप में कार्य शुरू होता है। इस दौरान पिता की पेंशन भी परिवार को मिलती रहती है।

एसपी का कहना

एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि बाल आरक्षकों की नियुक्ति के मामले हमेशा प्राथमिकता से हल किए जाते हैं। इसका उद्देश्य केवल परिवार को आर्थिक मदद देना और संकट दूर करना है। ईच्छा रघुवंशी की नियुक्ति भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है।

नौकरी में मिलेगी ये सुविधा और सैलरी

ईच्छा चौथी कक्षा में पढ़ाई कर रही हैं, लेकिन उनका नाम पहले ही पुलिस कर्मचारियों की लिस्ट में दर्ज हो चुका है। नियम के अनुसार, बाल आरक्षक को नव आरक्षक के आधे वेतन के हिसाब से मासिक 15,113 रुपये दिए जाएंगे। इसके साथ ही महीने में एक बार थाने जाकर साइन करना होगा और पढ़ाई-लिखाई की प्रगति की जानकारी देनी होगी।

10 साल बाद, जब ईच्छा 18 साल की होंगी और 10वीं पास कर लेंगी, तब वह स्थायी आरक्षक बन जाएंगी। इस दौरान उनके पिता की पेंशन उनकी मां को जारी रहेगी।

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