2 अक्टूबर 1994 मुजफ्फरनगर (रामपुर तिराहा) कांड के 24 साल, जख्म अब भी हरे, गुनहगारों को अभी तक नहीं मिली सजा…….

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देहरादून- देशभर में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में याद किया जाता है, लेकिन उत्तराखड में इस दिन को काला दिवस के रूप में देखा जाता है, क्योंकि इसी दिन साल 1994 को रामपुर तिराहा (मुजफ्फरनगर) कांड हुआ था। इस विभत्स कांड की 24वीं बरसी पर उत्तराखंडवासी शहीद आंदोलनकारियों को याद कर रहे हैं। रामपुर तिराहा (मुजफ्फरनगर) कांड को 24 साल हो गए। आज ही के दिन शहीदों की कुर्बानी के बाद उत्तराखंड राज्य बना। 2 अक्टूबर 1994 को एक ओर देश महात्मा गांधी को याद कर रहा था, वहीं दूसरी ओर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे आंदोलनकारियों को गोलियों से भूना जा रहा रहा था और महिलाओं का अपमान किया जा रहा था।

उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान 1994 में रामपुर तिराहे पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने के लिए गोली चलाई थी, जिसमें दर्जनों राज्य आंदोलनकारियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। ​साथ ही कई महिला आंदोलनकारियों के साथ अभद्रता और सामूहिक दुराचार भी किया गया था।उत्तराखंड में ही नहीं, दिल्ली सहित तमाम अन्य शहरों में रह रहे उत्तराखंडवासी दो अक्टूबर 1994 को उत्तराखंड आंदोलन के दौरान मुजफ्फनगर में शहीद हुए आंदोलनकारियों को याद करते है, साथ ही शहीदों के हत्यारों को अब तक सजा नहीं मिलने से लोग दुखी भी हैं। राज्य बनने के 18 साल बाद भी न तो शहीदों के हत्यारों को सजा मिल पाई है और न ही शहीदों की जन भावनाओं के अनुरूप राज्य बन पाया है।

 

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