उत्तराखंड में इस बार मानसून अपनमा ऐसा रूप दिखाया कि पहाड़ से लेकर मैदान तक कई इलाकों की तस्वीर ही बदल गई। अब प्रदेश से मानसून की तो विदाई हो गई है लेकिन उसके दिए जख्म अब भी जैसे के तैसे हैं। पिथौरागढ़ में बारिश के कारण बंद हुई 14 सड़कें तीन महीने बाद भी बंद हैं।
मानसून विदा होने के बाद भी नहीं सुधरे हालात
मानसून की विदाई के बाद भी प्रदेश के कुछ इलाकों में लोगों को राहत नहीं मिली है। सीमांत जिले पिथौरागढ़ में मानसून के दौरान बंद हुई सड़कें अब तक नहीं खोली जा सकी हैं। हैरानी की बात तो ये है कि ये हालात तब हैं जब मानसून से पहले आपदा प्रबंधन विभाग, जिला प्रशासन और लोक निर्माण समेत तमाम विभागों ने बारिश में बंद हुई सड़कों को जल्द से जल्द खोलने का दावा किया था। लेकिन जमीनी हकीकत तो दावों के बिल्कुल अलग नजर आ रही है।
पिथौरागढ़ में 3 महीने से बंद हैं 14 सड़कें
पिथौरागढ़ जिले में अब भी 14 सड़कें बंद हैं जिस से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन सड़कों के बंद होने से हजारों की आबादी परेशान है। ग्रामीण इलाके की 14 सड़कें बंद होने से तोमिक, मल्ला भैंसकोट, बोना, हुनेरा, देवीसूना, पातों, कटौजिया सहित 50 से भी ज्यादा गांवों की 15 हजार से ज्यादा की आबादी परेशान है।
पैदल आवाजाही को मजबूर 15 हजार की आबादी
रोजमर्रा की जरूरतों के सामान के लिए भी लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलकर सामान लाना पड़ रहा है। आलम ये है कि बीमारों और गर्भवती महिलाएं भी कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल जाने के लिए मुख्य सड़क तक पहुंच पा रहे हैं। चई किलोमीटर चढ़ाई चढ़ने के बाद ही वो प्रसव, इलाज और जांच के लिए अस्पताल पहुंच पा रहे हैं।