उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 11 दिसंबर के अपने एक फैसले में उत्तराखंड सरकार की तारीफ करते हुए कहा है कि ये “गुड गवर्नन्स” का प्रतीक है। कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के सचिव स्वास्थ्य की तारीफ़ करते हुए उनके अच्छे कार्य से सम्बंधित कोर्ट ऑर्डर की प्रीती को उनके पर्सनल रिकॉर्ड में रखने को कहा है।
यह संभवत पहला अवसर होगा जब हाई कोर्ट ने खुलकर ऑन रिकॉर्ड इस तरह सरकारी प्रयासों की तारीफ की है। मामला नागरिक मंच बागेश्वर द्वारा बागेश्वर में ट्रामा सेंटर खोलने को लेकर दाखिल की गई याचिका से संबंधित है, जिसमें हाईकोर्ट ने ट्रामा सेंटर खोलने के निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने बागेश्वर जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में एक सर्जन,एक ऑर्थोपेडिक सर्जन, एक रेडियोलॉजिस्ट, एक एनेस्थेटिस्ट और दो इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर सहित पैरमेडिकल स्टाफ़ की नियुक्ति की। सचिव स्वास्थ्य ने हाईकोर्ट में दाखिल अपने एफिडेविट में बताया कि ट्रामा सेंटर पूर्ण रूप से फंक्शनल है और अभी तक 795 ट्रॉमा पेशेंट्स में से 705 का सफलतापूर्वक उपचार भी किया जा चुका है।
जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस आलोक सिंह की बेंच ने ट्रामा सेंटर की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए सचिव स्वास्थ्य की विशेष रूप से तारीफ की। हाई कोर्ट ने ऑर्डर की कापी को सचिव स्वास्थ्य के पर्सनल रिकॉर्ड में रखने को भी कहा है। हाई कोर्ट ने बागेश्वर में ब्लड बैंक की स्थापना के लिए भी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
राज्य सरकार ने 16 नवंबर को ब्लड बैंक की स्थापना के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को अप्लाई किया था और 8 दिसंबर को ड्रग कंट्रोलर जनरल ने ब्लड बैंक को फंक्शनल बनाने के लिए सर्टिफिकेट जारी कर दिया है।