महिलाएं वैसे तो पूरे साल कोई न कोई व्रत करती रहती हैं लेकिन हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं का सबसे लोकप्रिय त्योहार है। इसकी तैयारी महिलाएं एक सप्ताह पहले से करनी शुरू कर देती हैं। इस त्योहार में महिलाएं हाथों में मेंहदी के साथ पूरा श्रृंगार करती हैं। इस त्योहार को पति के लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए किया जाता है। हरियाली तीज का त्योहार हर साल सावन के तृतीया तिथी को मनाया जाता है। मुख्य रूप से यह त्योहार उत्तर भारत में मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में तो इस त्योहार को कजली तीज के रूप में भी मनाते हैं। इस साल हरियाली तीज 3 अगस्त को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि तीज के दिन शिव जी कैलाश पर्वत को छोड़ धरती पर निवास करते हैं। सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज के दिन ही भोले शंकर माता पार्वती के साथ अपने ससुराल आए हुए थे। आपको बता दें कि इस बार हरियाली तीज का त्योहार 3 बजकर 31 मिनट से रात को 10 बजकर 21 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जा सकती है।
हरियाली तीज के खास पकवान तीज के दिन की तैयारियां अन्य त्यौहारों की तरह ही कई दिन पहले ही शुरु हो जाती हैं। हरियाली तीज के रिवाज के मुताबिक, बहुओं के लिए मायके से सिंधारा आता है। जिसमें कपड़े और श्रृंगार के सामान के अलावा मिठाई और तीज के खास पकवान शामिल होते हैं। जिसमें घेवर, मीठी मठ्ठी, मीठे नमक पारे आदि होते हैं। इसके अलावा घर में नमकीन और मीठे पकवान बनाए जाते हैं।
मेंहदी के बिना अधूरी होती है हरियाली तीज
शास्त्रों के मुताबिक,हरियाली तीज में हाथों पर मेंहदी लगाना बेहद शुभ माना जाता है। मेंहदी के बिना महिलाओं के सोलह श्रृंगार और तीज के त्यौहार को अधूरा कहा जाता है। हाथ में लगी मेंहदी, प्रेम,नयापन और खुशहाली का प्रतीक होती है। जिस तरह सावन की महीने में प्रकृति एक नए रंग और उत्साह से पूर्ण होती है। उसी तरह जीवन में मेंहदी का हरा रंग नयापन दर्शाता है, तो वहीं मेंहदी का लाल रंग पति के प्रेम को दर्शाती है।
हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और मां पार्वती के मिलन के रूप में मनाया जाता है। मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तप किया था। शिवपुराण के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 108 जन्म लिए थे। माता पार्वती ने यह व्रत बिना कुछ खाए पिए किए थे। जिस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नि के रूप में स्वीकार किया था। वह दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया था। इसलिए भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया। इसी वजह से प्रत्येक साल श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। हरियाली तीज का व्रत सुहागन स्त्रियां रखती हैं। सुहागन स्त्रियां यह व्रत सौभाग्य की प्राप्ति , घर में धन वृद्धि ,सुख और समृद्धि के लिए करती हैं। माना जाता है कि अगर कोई कुंवारी कन्या हरियाली तीज का व्रत रखती है तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। अगर जिस कन्या का विवाह न हो रहा हो वह भी हरियाली तीज का व्रत रख सकती है।
हरियाली तीज का व्रत रखने से उस कन्या के विवाह के योग शीघ्र ही बनने लग जाएंगे। कुंडली में चाहे कितने भी बाधक ग्रह लेकिन भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से उस कन्या का विवाह शीघ्र ही हो जाएगा। हरियाली तीज के दिन सुहागन स्त्रियां भगवान शिव और मां गौरी की विशेष पूजा करती हैं। इसके बाद व्रत की कथा पड़ती हैं । इस दिन झूला झूलने को भी विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए सभी स्त्रियां अपनी सखियों के संग झूला झूलती हैं। यह व्रत बिना कुछ खाए पिए किए जाता है। हरियाली तीज के व्रत में स्त्रियां पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती है।
हरियाली तीज के दिन इन चीजों का करें दान
1.किसी निर्धन स्त्री को हरियाली तीज के दिन श्रृंगार को वस्तुएं दान करें। ऐसा करने से आपके पति की सभी परेशानियां समाप्त हो जाएगी।
2.हरियाली तीज के दिन शनिवार पड़ने से आप शनि की पीड़ा से भी मुक्ति पा सकते हैं। इसलिए कल के दिन काले वस्त्रों का दान करें।
3.हरियाली तीज के दिन माता गौरी पूजा करने के बाद शाम के समय में शनि मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दान अवश्य करें।
4.हरियाली तीज के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं।
5. हरियाली तीज के दिन किसी गरीब व्यक्ति को भोजन का दान अवश्य दें।




