स्थापना दिवस स्पेशल- उत्तराखंड की इस बेटी के जज्बे को सलाम!

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                                              मंजिल उन्ही को मिलती है,
                                              जिनके सपनो में जान होती है।
                                              पंख से कुछ नहीं होता,
                                              हौसलों से उड़ान होती है।।                                                             मशरूम गर्ल के नाम से मशहूर देहरादून की छोटी कद काठी की एक लड़की आज बड़े-बड़ों को रोजगार के हुनर सीखा रही है। नाम है दिव्या रावत।

पहाड़ से पलायन रोकना है तो रोजगार देना पड़ेगा, दिव्या रावत जब यह कहती हैं तो उनकी आवाज में वो दर्द और वेदना साफ झलकती है, जिसे पहाड़ के युवा सदियों से झेल रहे हैं। दिव्या गांव-गांव में मशरूम की खेती के प्रति अलख जगा रही हैं। आज दिव्या ने अपनी शिक्षा का सही इस्तेमाल करके खुद तो लाखों का बिजनस खडा किया ही है साथ ही साथ ग्रामीण महिलाओं को रोजगार प्रदान किया। बेचारी और अवला नारी समझने वाली सामाजिक मानसिकता को उत्तराखंड की इस बेटी आज बदल कर रख दिया है। जिसके लिए उन्हें राष्ट्रपति के हाथों 17 मार्च 2016 को ‘‘नारी शक्ति‘‘ के अवार्ड़ से भी नवाजा जा चुका है।

दिव्या रावत
फूलों की घाटी यानि उत्तराखंड के चमोली जिले में जन्मी दिव्या रावत आज का विश्व विख्यात हैं। इनके पिताजी का नाम स्व.तेज सिंह रावत है जिनका देहांत तभी हो गया था जब दिव्या मात्र 7 साल की थी, जिसके बाद मानो दिव्या के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट गया, वाबजूद इसके उनकी मां ने कभी हार नहीं मानी औ संघर्ष कर उनको अच्छी शिक्षा और खुले विचार दिये। दिव्या रावत ने भी उस संघर्ष को व्यर्थ नहीं जाने दिया और खुद के साथ अनेकों परिवारों के चुल्हे में आग जलाई और पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोका। दिव्या ने सामाजिक कार्य करने हेतु अपनी पढाई लिखाई ए.एर्म.आइ.टी.वाई विश्वविद्यालय नोएडा से बीएचडब्ल्यू में संपन की और उसके बाद इग्नू से समंजिक कार्य करने हेतु मास्टर डिग्री भी प्राप्त की। फिर तीन साल तक संस्थानों में नौकरी भी की जहाँ वे मानव अधिकारों के मुद्दों पर काम करती थी मगर उनका दिल हमेशा पहाड़ों में ही रहता था और पहाड़ के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा उन्हें फिर से पहाड़ों में खींच लाया, और फिर दिव्या ने देहरादून में आकर डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर, डिफेंस कालोनी, देहरादून से एक हफ्ते का मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया । आज दिव्या सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं जो देहरादून के मोथरवाला में स्थित है।

 

शुरुवात
जहां आज के युवा पहाड़ों से पलायन करके अपने रोजगार के लिए बाहर शहरों की तरफ दौड़ रहे हैं वही दिव्या की उच्च सोच ने इसके विपरीत नॉएडा से पढाई करके पहाड़ो में रोजगार देकर न सिर्फ खुदको बल्कि वहाँ की कई महिलाओं को भी स्वावलंबी बना दिया। जब 2013 में केदारनाथ अपदा आई तो उसके बाद दिव्या अपने गाँव कंडारा, चमोली, उत्तराखंड गयी जहाँ उन्होंने ग्रामीण महिलों को मशरूम का प्रशिक्षण दिया और वहाँ के खाली पड़े बंजर घरो में ही मशरूम का उत्पादन शुरू कर दिया। दिव्या का कहना है कि मशरूम का उत्पादन 20-22 डिग्री के तापमान पर भी संभव होता है परंतु दिव्या रावत ने 30-40 डिग्री के तापमान पर भी मशरूम का उत्पादन संभव कर दिखाया । इसी सफर को बरकरार रखते हुए उन्होंने अपने आस पास के जिले रुद्रप्रयाग,कर्णप्रयाग,चमोली की महिलाओं को भी इसका प्रशिक्षण देकर उनको इस काम से जोड़कर खुद के साथ उनको भी स्वावलंबी बनाया।

सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
26 वर्षीय दिव्या ने अपने इस सफर की शुरूआत 2012 में की और महज एक साल के भीतर 2013 में उनहोंने खुद की कंपनी खोल ली जिसका नाम ‘‘सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड‘‘ है जो देहरादून के मोथरावाला में स्तिथ है।

दिव्या ने बताया कि वह एक साल में तीन तरह के मशरूमों का उत्पादन करती हैं।
बटन मशरूम- जिनका उत्पादन सर्दियों के सीजन में किया जाता है और इसके उत्पादन में कुल 28-33 दिन का समय लगता है ।
ओएस्टर मशरूम- जिनका उत्पादन सामान्य मौसम के तापमान पर किया जाता है जिसके उत्पादन में 15-20 दिन का समय लगता है ।
मिल्की मशरूम- जिनका उत्पादन गर्मियों के सीजन में किया जाता है और इसके उत्पादन के लिए 40-45 दिन का समय लगता है।
दिव्या का कहना है कि“यदि आपके पास एक छत है चाहे वो घास फूस की ही क्यों न हो तो आप सभी प्रकार के मशरूम उगा सकते हैं।

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