अपने विवादित बयानों के कारण लगातार सरकार की किरकिरी करा चुके सूबे के खेल एवं शिक्षा मंत्री ने एक फिर विवादित बयानों से खुद ही फंसते नजर आ रहे है। मंत्री ने इस बार दावा किया है कि उनके पास ऐसे सबूत हैं, जो राज्य में खेल संघों पर हावी ऐसे पदाधिकारियों को बेनकाब कर देंगे, जिन पर धारा 376 के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है। मंत्री के इस बयान के बाद खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मोर्चा सभांला पड़ा।
महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण से जुडे़ खेल मंत्री के दावे पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि किसी खिलाड़ी का शोषण हुआ है, तो वह सामने आए, सरकार कार्रवाई करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में वह खेल मंत्री अरविंद पांडेय से बात करेंगे। ऐसे में वे इन लोगों के खिलाफ धारा 376 के तहत एफआईआर तक दर्ज कराने से गुरेज नहीं करेंगे। इसके बाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में हलचल मची हुई है।
दरअसल प्रदेश के खेल मंत्री अरविंद पांडे राज्य के खेल संघों से बेहद खफा हैं। इतने नाराज कि उन्होंने राज्य में मौजूद कई खेल संघ के पदाधिकारियों पर गुंडागर्दी करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वे सूबे की बच्चियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। इतना ही नहीं खेल मंत्री का दावा है कि उनके पास ऐसे सबूत हैं जिनके आधार पर खेल संघ के उन पदाधिकारियों के खिलाफ रेप का केस बनता है और 376 का मुकदमा दर्ज हो सकता है। मंत्री ने दावा किया है कि सूबे की बच्चियों से खिलवाड़ करने वाले कई पदाधिकारियों के खिलाफ उनके पास कई अहम सबूत हैं। मंत्री ने कहा कि अगर खेल संघ अपनी हरकतों से बाज नहीं आए वे उनके खिलाफ किसी भी स्तर तक जा सकते हैं।
बुद्धिजीवी और राजनितिक जानकारों का मानना है कि, ऐसे मंत्री विवादित बयान देकर कंही न कंही सरकार की जनता के बीच फजीयत करा रहे है। जबकि त्रिवेंद्र सरकार जीरो टालरेंस के साथ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाकर जनता के बीच अच्छा मैसेज देने की कोशिश कर रहे है। लेकिन उनके मंत्री को ये रास नहीं आ रहा है, ऐसे में हाई कमान को भी ऐसे मंत्री पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।