नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक अब शराब की दुकानें नहीं होंगी. सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल और स्टेट हाइवे के किनारे बनी सभी शराब की दुकानों को 1 अप्रैल 2017 तक बंद करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब कोई नया लाइसेंस भी जारी नहीं किया जाएगा और न ही पुराने लाइसेंस को रिन्यू किया जाएगा। ये फैसला सीजेआई टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में हाइवे पर होने वाली सड़क दुर्घटना का मसला उठाया गया था. कहा गया था कि इन दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना है. केंद्रीय सड़क और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 में देश भर में कुल 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं. इनमें 1 लाख 46 हज़ार लोगों ने जान गंवाई.
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल अगस्त में इस मामले में केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया था. मामले को तेज़ी से सुनते हुए कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया. कोर्ट ने साफ किया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 से हर नागरिक को मिला जीवन का अधिकार बेहद अहम है. राज्यों को इसका सम्मान करते हुए अपनी आबकारी नीति में बदलाव करना होगा. उन्हें हाइवे के किनारे शराब की दुकानों को लाइसेंस देना बंद करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की भी खिंचाई की. पीठ ने कहा कि भारत सरकार अब कह रही है कि राष्ट्रीय और राज्य राज्यमार्गों के किनारे शराब के ठेके को हटा दिया जाना चाहिए. पिछले 10 वर्षों में कुछ नहीं हुआ, लिहाजा हमें दखल देना पड़ा. सुनवाई के दौरान यह भी दलील दी गई कि लोगों को शराब खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता है. इस पर कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा कि तो आप शराब की ‘होम डिलीवरी करा दीजिए.