सीएम साहब डीएम से कहो मुझसे माफ़ी मांगे,इस तरह नहीं चलती सरकार

बड़ी खबर : शराब बंदी को लेकर उत्तराखंड में सियासत शुरू से गरमाई हुई है सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष शराब बंदी को लेकर शुरू से ही आमने-सामने रहे है लेकिन इस बार सत्ता पक्ष के एक विधायक फोन पर अपने मुख्यमंत्री से भिड़े हुए है मामला राजधानी देहरादून का है जंहा बीजेपी के विधायक और मेयर विनोद चमोली अपने क्षेत्र में शराब के ठेके को बंद कराने के लिए पहले डीएम देहरादून से भिड़े और फिर मुख्यमंत्री को फोन कर कहा की डीएम मुझसे माफ़ी मांगे।
दरअसल हुआ ये कि आबकारी विभाग ने देहरादून के दौड़वाला में शराब का ठेका खुलवाने की परमिशन दे दी थी। जिसको लेकर स्थानीय लोगों ने काफी विरोध किया। मामला चूंकि मेयर व विधायक विनोद चमोली की सीट से जुड़ा हुआ था, लिहाजा वह भी जनविरोध में शामिल हो गए। पहले तो मेयर विनोद चमोली ने जिलाधिकारी के दफ्तर पहुंचकर उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन जब बात नहीं बनी और जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन उनसे मिलने नहीं पहुंचे तो मेयर विनोद चमोली का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। जनता के बीच अपने आपको असहज महसूस कर रहे विनोद चमोली ने फौरन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को फोन मिला दिया। फोन उठाते ही मुख्यमंत्री से विनोद चमोली ने शिकायतों की झड़ी लगानी शुरू कर दी। चमोली ने कहा कि वह भी कई सालों से राजनीति कर रहे हैं और आज से पहले उनसे किसी जिलाधिकारी ने इस तरह से बात नहीं की लेकिन यह जिलाधिकारी जब देख रहे हैं कि विधायक धरने पर उनके दफ्तर में बैठे हुए हैं तो क्या 15 मिनट का समय निकालकर आ नहीं सकते थे
फोन के दूसरी तरफ से शायद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन विनोद चमोली इतने गुस्से में थे कि मुख्यमंत्री से ही तीखी बातें कर बैठे। चमोली ने सीएम से तल्ख लहजे में कहा कि अगर मेरी जगह आप यहां पर होते तो आप क्या करते। चमोली ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से कहा कि जब उन्होंने डीएम से बात की तो डीएम ने कहा कि उन्होंने मिलने का समय नहीं लिया था इसलिए वह मिल नहीं पाए। चमोली ने कहा कि वह 32 साल से राजनीति कर रहे हैं तब से किसी से मिलने के लिए उन्होंने समय नहीं लिया है और आगे भी वह किसी से समय लेकर नहीं मिलने वाले। चमोली ने दो टूक कहा कि त्रिवेंद्र जी डीएम से कहिए वो मुझसे माफ़ी मांगे,इस तरह सरकार नहीं चलती।
हालांकि देर रात राज्य सरकार और आबकारी मंत्रालय को झुकना पड़ा और विनोद चमोली के विरोध के बाद दौड़ावाला में खुल रहे शराब के ठेके को रद्द कर दिया गया।

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