
मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना बंद होने से हो रही फजीहत के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दावा किया कि इसमें सरकार की कोई ग़लती नहीं थी यह तो बीमा करवाने वाली कंपनी का दोष है. कंपनी पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कंपनी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि योजना से प्रभावित होने वाले मरीज़ों के इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसबीवाई को राज्य सरकार द्वारा बन्द नहीं किया गया है. योजना के अंतर्गत जिस कम्पनी के साथ अनुबंध किया गया था, निश्चित रूप से उस पर वैधानिक कार्यवाही की जाएगी. साथ ही इसमें यदि कोई अधिकारी संलिप्त होगा तो निश्चित रूप से उस पर भी कार्यवाही की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के तहत आने वाले मरीज़ों के इलाज पर होने वाला खर्च अब राज्य सरकार उठाएगी. उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को निर्देश दिए गए हैं कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े मरीजों का इलाज किया जाए. जब तक एमएसबीवाई को लेकर नया कॉंट्रेक्ट नहीं होता तब तक किए जाने वाले खर्च को राज्य सरकार उठाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस योजना को लेकर पूरी तरह से संवेदनशील और गम्भीर है. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही अक्षम्य होगी।
अप्रैल 2015 में शुरू हुई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाभार्थियों को बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड जारी किए गए थे. जिसके तहत कार्डधारक परिवार को 50 हजार रुपये का हेल्थ कवर और सवा लाख रुपये गंभीर बीमारियों का बीमा कवर मिलता है।
इस कार्ड का इस्तेमाल एमएसबीवाई के पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल में इलाज के लिए किया जा सकता है. योजना में सरकारी कर्मचारी, पेंशनर और आयकर दाता शामिल नहीं हैं. योजना पर ब्रेक लगने से मरीज आफत में हैं. प्रदेश में साढ़े बारह लाख परिवारों के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्ड हैं।