जी हाँ पढ़ कर अजीब जरूर लग रहा होगा पर ये सच है। आज शादी से पहले दूल्हे के साथ साथ दूल्हे की माँ का भी, होने वाली दुल्हन के साथ कुंडली मिलान कराना जरुरी समझा जा रहा है ।क्यूंकि अब भारत में औसतन महिलाये काम काजी हैं, और उनकी माने तो लड़के के साथ तो एडजस्टमेंट हो ही जाता हैं लेकिन सास के साथ सोच का मिलना बेहद मुश्किल होता है। दरअसल घर परिवार में पुरूषों के मुकाबले ,महिलाएं ज्यादा समय बिताती हैं। ऐसे में उनका आपस में स्वभाव और सोच का मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाता है , नतीजन आपस में मनमुटाव जैसे संभावनाएं होते है । जहां एक और एक माँ को अपने बेटे को अपने से दूर और खोने का डर सताता है वहीँ, ससुराल में सास में माँ को ढूंढ़ती बहु रिश्तो के ताने बाने में उलझ कर रह जाती है। बात केवल कुंडली मिलान का नहीं सोच के मिलान का है जो की दोनों ही पक्षों के लिए बेहद जरुरी है । तभी जीवन सरल और सफल हो पायेगा ।