सरकार की कोशिश रही कि देश डिजिटल इकॉनमी की तरफ बढ़े. इसके लिए ई वॉलेट, नेट बैकिंग, क्रेडिट कार्ड जैसे भुगतान के तरीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है. अब भले ही उपभोक्ताओं के बीच डिजिटल भुगतान लोकप्रिय होने लगा हो लेकिन इससे साइबर अपराधियों द्वारा जाली ई-वॉलेट (E-Wallet) के जरिये उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी का जोखिम भी बढ़ रहा है.
साइबर सुरक्षा कंपनी कैस्परस्काई के अनुसार, अभी तक इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है लेकिन साइबर अपराधियों द्वारा ऐप स्टोर्स पर फर्जी एप्स डालने की संभावना काफी अधिक है. कैस्परस्काई लैब दक्षिण एशिया के प्रबंध निदेशक अल्ताफ हाल्दे ने कहा, ‘डिजिटल भुगतान कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके ऐप्स पर लेनदेन सुरक्षित है. इसके अलावा उपभोक्ताओं के लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए सत्यापन जांच भी सुनिश्चित की जानी चाहिए.’
उन्होंने कहा कि ऐसे हालातों में साइबर अपराधी ग्राहकों को ऐसे जाली ऐप डाउनलोड करने के लिए लुभा सकते हैं, जो सही ऐप की तरह दिखते हैं. इससे पिछले दरवाजे से इन ऐप्स का स्मार्टफोन में प्रवेश हो जाएगा. बैंकों और मोबाइल (M-Wallet) वॉलेट कंपनियों जैसे वित्तीय संस्थानों को जहां उपभोक्ताओं की सूचना को संरक्षित रखने के लिए कदम उठाने होंगे, वहीं प्रयोगकर्ताओं को भी सतर्कता बरतनी होगी क्योंकि किसी प्रकार के नकारात्मक अनुभव से डिजिटल लेनदेन में उनका भरोसा घट जाएगा.