सपा का कलह अब जग जाहिर है।सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने जहां भाई शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद पर बैठाया वहीं भतीजे अखिलेश ने चाचा से मंत्रालय के कई अहम विभागों से छुट्टी कर दी। अब दिल्ली में हुई मुलाकात में यूपी मुख्यमंत्री अखिलेश ने सफाई देते हुए कहा कि परिवार में झगड़ा नही है ये सरकार में झगड़ा है। अब झगड़ा कोई भी हो पर मनमुटाव तो पार्टी में पनप ही चुका है।
यूपी के सीएम अखिलेश ने सपा के अंदर हो रहे इन विवादों पर कहा कि परिवार में नहीं बल्कि ये सरकार का झगड़ा है। मैंने नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के कहने पर ही ये फैसले लिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कुछ बड़े फैसले मैंने भी लिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार में समस्याएं हो सकती हैं लेकिन परिवार में नहीं है। जहां तक परिवार का सवाल है, हर किसी को नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की बात स्वीकार्य है और उनकी बातों को मानेंगे। अगर मैं कोई निर्णय लेता हूं, तो यह ‘नेताजी’ की सलाह से लेता हूं, लेकिन कई बार मैं अपना दिमाग भी लगाता हूं और कुछ निर्णय मेरे अपने होते हैं।मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही अब तक सपा के प्रदेश अध्यक्ष भी थे. दरअसल, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को ही सूबे के मुख्य सचिव और शिवपाल के करीबी दीपक सिंघल को हटा दिया था. अटकलें लगाई जा रही हैं कि शिवपाल की नाराजगी दूर करने के लिए ही मुलायम ने अब उन्हें यूपी सपा की कमान सौंपी है.
दूसरी ओर, सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि शिववाल ने सभी पदों से इतीफे की पेशकश की है। उन्होंने यूपी अध्यक्ष और मंत्रिपद से इस्तीफे की पेशकश की है। शिवपाल ने आज कहा कि आगे का फैसला मुलायम सिंह यादव से बातचीत के बाद ही करूंगा। मुलायम सिंह का फैसला आखिरी होगा। मंत्री बनाना और हटाना सीएम का हक है। शिवपाल ने मंगलवार देर रात भी मुलायम से बात की थी। इस बीच, अखिलेश ने बुधवार को लखनऊ में सारे कार्यक्रम रदद कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, अखिलेश के सभी फैसलों में रामगोपाल यादव का साथ है।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने पिता सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से आहत महसूस कर रहे है। इस बात की संभावना है कि अखिलेश यादव ने अपने सारे कार्यक्रम इसी वजह से स्थगित कर दिए हैं। अब झगड़ा परिवार का हो या सरकार का, परिणाम पार्टी को ही भुगतने है। अगर पार्टी में इस तरह कलह चलता रहा तो संभावनाए जतायी जा रही है कि अखिलेश उठा पटक में उलझ कर आगामी चुनावों में नीचले पायदान में भी आ सकते है।