सरकार ने ऊबर, ओला को जीपीएस की जगह टैक्सी मीटर के जरिए किराया आंकने का निर्देश:नई दिल्ली

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uber-ola-ninefinestuff-810x418सरकार ने टैक्सी सर्विस मुहैया करानेवाली कंपनियों, ऊबर और ओला से जीपीएस की जगह टैक्सी मीटरों से किराये का आकलन करने को कहा है। अभी दोनों कंपनियां किराया वसूलने के लिए जीपीएस का सहारा ले रही हैं।

रोड मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया, ‘टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनियां जीपीएस के जरिए दूरी मापकर कानून का उल्लंघन कर रही हैं। मोटर वीइकल्स ऐक्ट में टैक्सी मीटर के इस्तेमाल का स्पष्ट निर्देश है।’ दरअसल, अब तक मिले फीडबैक के आधार पर मंत्रालय ने निष्कर्ष निकाला है कि जीपीएस से दूरी का आकलन सही-सही नहीं हो पाता है।

अधिकारी ने बताया, ‘हमने हाल की बैठक में ओला और ऊबर, दोनों से कह दिया है कि वे इस समस्या को जल्दी सुलझाएं। हमें इन कैब प्रोवाइडर कंपनियों के फेयर मेकनिजम की गड़बड़ियों की शिकायतें मिलती रहती हैं।’ जीपीएस या ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम, फोन पर दूरी की माप सैटलाइट्स, सेल साइट्स और वाईफाई के मिलेजुले डेटा के जरिए आता है। परिवहन मंत्रालय को लगता है कि ब्लैक-ऐंड-येलो टैक्सी रेट कार्ड ग्राहकों के लिए बेहतर है।गौरतलब है कि ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के अधिकारियों ने हाल ही में ओला और ऊबर के सीनियर एग्जिक्युटिव्स के साथ अलग-अलग मीटिंग की थी। ऊबर ने इस पर टिपण्णी करने से इनकार कर दिया जबकि ओला ने ईमेल से पूछे गए सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। इसी सप्ताह सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा को बताया कि उनका मंत्रालय टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनियों पर बड़े पैमाने पर नजर रखने के लिए व्यापक दिशानिर्देश तैयार कर रहा है। इसके लिए सरकार ने रोड सेक्रटरी संजय मित्रा के अधीन एक कमिटी गठित की है। कमिटी ने इस मामले पर राज्यों से भी सलाह ली है।

अभी पारंपरिक कैब पहले एक किलोमीटर के लिए 25 रुपये, उसके बाद प्रति किलोमीटर 16 रुपये की दर से किराया वसूलते हैं जबकि 11 बजे रात से सुबह के 5 बजे तक की यात्रा के दौरान कुल किराये का 25 प्रतिशत नाइट चार्ज के रूप में लिया जाता है। वहीं, ऑटो पहले 2 किलोमीटर के लिए 25 रुपये, फिर प्रति किलोमीटर 8 रुपये की दर से किराया लेते हैं। इनका भी नाइट चार्ज कुल किराये का 25 प्रतिशत ही होता है।

ओल और ऊबर का बेस फेयर करीब 7 से 8 रुपये प्रति किलोमीटर है। हालांकि, यह बढ़ता-घटता रहता है। पीक टाइम में सर्च प्राइसिंग 24 रुपये प्रति किलोमीटर तक पहुंच सकता है। साथ ही वे प्रति मिनट 1 रुपया अलग से वसूलते हैं। दिल्ली में प्रिसिजन इलेक्ट्रिकल्स और सैनसुई इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियां सरकार से मान्यताप्राप्त डिजिटल टैक्सी मीटर बनाती हैं।

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