देहरादून । पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का 89 साल की उम्र में आज निधन हो गया। यह समाचार हर बुद्धिजीवी का आहत करने वाला है। सोमदा किडनी की बीमारी बीमारी के चलते कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती थे, जहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद बीते 10 अगस्त को उन्हें कोलकाता के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। माकपा के पूर्व नेता सोमनाथ चटर्जी 10 बार लोकसभा के सांसद रहे हैं। वह कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए-1 सरकार में 2004 से 2009 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे थे। यूपीए-1 शासनकाल में उनकी पार्टी सीपीएम की ओर से सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद उनसे स्पीकर पद छोड़ने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया, जिस कारण उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। चटर्जी सीपीआईएम के केंद्रीय समिति के सदस्य रहे थे, और उन्हें प्रकाश करात के धुर विरोधी के रूप में जाना जाता है। उनके निधन से लोकतंत्र का एक स्तंभ ढह गया। सही मायने में वह एक संस्थान थे जिसने पार्टी लाइन से हटकर लोकतंत्र का सम्मान किया।
सोमनाथ चटर्जी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेताओं में से थे। वे वामपंथ के एकलौते नेता रहे जो लोकसभा अध्यक्ष के पद तक पहुंचे। चटर्जी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत सीपीएम के साथ 1968 में की और वह 2008 तक इस पार्टी से जुड़े रहे। 1971 में वह पहली बार सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 10 बार लोकसभा सदस्य चुने गए। हालांकि 1984 में जादवपुर में कांग्रेस की ममता बनर्जी से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। इसे अगर छोड़ दें तो वह बोलपुर लोकसभा क्षेत्र से लगातार जीतते रहे हैं। सोमनाथ चटर्जी की धर्मपत्नी श्रीमती रेणु चटर्जी थीं जिनसे उन्हें एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं। उनकी पत्नी का पहले ही निधन हो चुका था.। प्रदेश के मुख्यमंत्री, भाजपा अध्यक्ष, कांग्रेस अध्यक्ष तथा अन्य सभी वरिष्ठ नेताओं ने सोमदा के निधन पर शोक संवेदन व्यक्त की है।