मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत आज राजकीय शिक्षक संघ के तीन दिवसीय चतुर्थ द्रिवार्षिक अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। सीएम ने दीप जलाकर शिक्षकों के अधिवेशन का शुभारंभ किया। शिक्षक संघ के पदाधिकारियों से मुलाकात भी की और शिक्षकों की राजनीति में दिलचस्पी लेने वाले अध्यापक प्रतिनिधियों की मांग पर भी गौर किया। हालांकि शिक्षकों को इतने बड़े सम्मेलन में विभागीय मंत्री अरविंद पांडे गैरहाजिर रहे। कार्यक्रम में उनकी अनुपस्थिति चर्चा का विषय बनी हुई है।
राजकीय शिक्षक संघ अपने अधिवेशन के माध्यम से शिक्षको से जुडी बिभिन्न मांगे व अन्य मुद्दे इस पटल से सरकार के समक्ष रखता है. अधिवेशन की सबसे दिलचस्प बात ये रही कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने शिक्षकों को उन्हीं के सम्मेलन में आईना दिखाया। सीएम रावत ने मौजूदा वक्त के कई उन गंभीर सवालों को शिक्षकों के सामने रखा जिनकी वजह से राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया उंगली उठती रही हैं।
सीएम त्रिवेंद्र रावत ने अध्यापकों से कहा कि आखिर क्या वजह है कि, आज राज्य में सरकारी शिक्षा से आम आदमी का भंरोसा उठ गया है। निजी स्कूलों में छात्रों की भीड़ है जबकि सरकारी स्कूल एक के बाद एक बंद हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाते हुए सरकारी अध्यापकों के सामने संजीदगी से कहा 2500 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं जबकि 1000 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जिनमें 10 से कम छात्र-छात्राएं हैं।
बहारहाल गौर करने वाली बात ये थी कि अधिवेशन के दौरान सीएम त्रिवेंद्र रावत गंभीर मुद्रा में दिखाई दिए। मंच से लेकर संबोधन तक सीएम गंभीर बने रहे। उन्हें देख कर महसूस हो रहा था कि उनके भीतर जज्बातों का ज्वार-भाटा उमड़ा रहा है और वे जरूर शिक्षकों को कोई गंभीर बात कहेंगे। हालांकि बड़ा सवाल ये है कि इस नसीहत के बाद भी राज्य की सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर आम आदमी का भंरोसा कायम हो पाएगा कहना मुश्किल है।