बड़ी खबर : टिहरी झील को पर्यटन के लिहाज से विश्व स्तर पर स्थापित करने के ड्रीम प्रोजेक्ट का सपना सजोने वाली पूर्व की कांग्रेस सरकार को तगड़ा झटका लगा है 2015 में पर्यटन विकास परिसद दुवारा टिहरी झील के सौन्द्रीयकरण के लिए लाई गई नावों और अन्य उपकरणो में खरीद-फरोक में करोडो का घोटाला उजागर हुआ है राज्य सूचना आयुक्त ने इस मामले की विजिलेंस जाँच के आदेश दिए है
पूर्वर्ती हरीश रावत सरकार में पर्यटन मंत्री रहे दिनेश धन्ने के घोटालो की पोल खुलने लगी है कांग्रेस सरकार में पर्यटन मंत्री रहे दिनेश धन्ने ने झील के लिए नावों और अन्य उपकाण खरीदने का काम पर्यटन विकास परिसद को दिया था इस काम के लिए पर्यटन विकास परिसद ने यूपी निर्माण निगम की कार्यदायी संस्था को चुना। यूपी निर्माण निगम ने करीब 4 करोड़ सामान जिसमे बाट-बोट और तैरता रेस्टोरेंट खरीद कर परिसद को दिया। गौर करने वाली बात यह है की कि यूपी निर्माण निगम को यह काम बिना योग्यता के ही दे दिया गया.. यही नहीं निगम ने तय प्रोक्योरमेंट पॉलिसी का भी पालन नहीं किया। इसके आलावा यूपी निर्माण निगम पर उपकरणों की खरीद के लिए जरुरी दस्तावेज भी नहीं है…
इसे साफ जाहिर है कि कमीशन के मोटे खेल में पर्यटन विकास परिसद से लेकर पर्यटन विभाग तक ने मनको पर खरा न उतरने के बावजूद यूपी निर्माण निगम पर आंखे मूंद कर करोडो की बन्दरबांट की है दरसल पर्यटन विकास परिसद के ऊपर खतरे के बदल इसलिए भी मंडरा रहे है क्योकि अनिवार्य होने के बावजूद भी परिसद के अधिकारियो ने यूपी निर्माण निगम से इन नावों सहित उपकरणों की खरीद से पहले आवश्यक जानकारी और दस्तावेज प्राप्त करने की जहमत नहीं की…
इस घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब मरीन स्पेशलिस्ट विपुल धस्माना ने सूचना के अधिकार के तहत पर्यटन विकास परिसद से टिहरी झील के लिए नावों सहित उपकरणों की खरीद फरोख की सूचना मांगी। 26 जुलाई 2016 को यह अपील सूचना आयोग चली गई.जिसमे सूचना आयुक्त सुरेंद्र सिंह रावत ने घोटाले की पुष्टि करते हुए मुख्य सचिव को इस मामले की विजिलेंस जाँच कराने के निर्देश दिए है
बताया जा रहा है की पूर्व मंत्री के दबाव में पर्यटन विकास परिसद ने विवादित यूपी निर्माण निगम को टिहरी झील के लिए नावों और अन्य उपकरण खरीदने का टेंडर दिया था लेकिन अब विजिलेंस ने जाँच की तो कमीशन खाने वाले बड़े मगरमच्छो का पर्दाफाश हो पाएंगे…….