वास्तु शास्त्र : घर का उपेक्षित कोना भी आपको तरक्की दे सकता है


वास्तु शास्त्र हमारे जीवन को पूरी तरह प्रभावित करता है। हम माने या न माने लेकिन सच यही है कि हम कहां, कैसे, किस प्रकार उठ-बैठ रहे हैं, उसका भी हमारे जीवन पर फर्क पड़ता है। भारतीय जीवन दर्शन के अनुसार दस दिशाएं इस बात का प्रबंधन करती हैं कि हम क्या और कैसे कर रहे हैं। चार दिशाओं के साथ-साथ चारों कोण भी दिशा जैसे ही माने जाते हैं और उन कोणों को हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व और उत्तर दिशाएं जहां पर मिलती हैं उस स्थान को ईशान कोण कहते हैं। भगवान शिव का एक नाम ईशान भी है चूंकि भगवान शिव का आधिपत्य उत्तर-पूर्व दिशा में होता है इसीलिए इसका ये नाम है। इस दिशा के स्वामी ग्रह बृहस्पति और केतु माने गए हैं। सभी दिशाओं में इसे सबसे उत्तम माना गया है। घर का ये हिस्सा सबसे पवित्र होता है इसलिए ईशान में सभी देवी और देवताओं का वास होता है। यही कारण है कि इस दिशा को सबसे शुभ माना गया है। इसे साफ-स्वच्छ और खाली रखा जाना चाहिए। आपकी नौकरी और बिजनेस की तरक्की ये दिशा ही तय करती है।

ये नहीं होना चाहिए ईशान कोण में

इस स्थान पर कूड़ा-कचरा नहीं होना चाहिए। इसके कारण कामकाज में रुकावटें आती हैं।

  • स्टोररुम और टॉयलेट भी इस दिशा में नहीं होना चाहिए। इससे असफलता और नुकसान होता है।
  • किचन और बेडरुम इस दिशा में होने से वास्तुदोष बनता है।
  • लोहे का कोई भारी भी इस दिशा में नहीं होना चाहिए।
  • ईशान कोण में कोई नुकीली चीज तथा झाडू भी नहीं रखना चाहिए वरना धन हानि होती है।
  • घर या ऑफिस के इस हिस्से में बैठक व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।
  • सिंक या वॉशबेसिन भी इस दिशा में नहीं होनी चाहिए।

ऐसा ईशान कोण देता है तरक्की

  • निवास या कार्यालय के ईशान कोण में देवी-देवताओं की तस्वीर लगाकर रोज पूजा करें।
  • इस हिस्से की नियमित सफाई भी करवाते रहें क्योंकि घर का ये हिस्सा साफ रहेगा तो वहां मां लक्ष्मी का स्थाई वास होगा।
  • इस दिशा में पूजा स्थल बनाएं और वहां लक्ष्मी जी की मूर्ति रखें।
  • ईशान कोण में श्वेतार्क गणपति (सफेद मदार की जड़ से बने गणेश जी) रखने से धन लाभ और तरक्की मिलती है।

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