1.वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य दरवाजा दक्षिणमुखी नहीं होना चाहिए. अगर किसी कारणवश दक्षिणमुखी में दरवाजा लगाना पड़ा तो, दरवाजे के सामने एक बड़ा सा आईना लगा दें।
2.वास्तु शास्त्र के अनुसार दरवाजा खोलते या बंद करते समय आवाज आना अशुभ माना जाता है। दरवाजों के कब्जों में तेल डालते रहें ऐसा करने से आवाज़ नहीं आती।
3. वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा को घर का सबसे पवित्र दिशा मानी जाता है। इस दिशा को भी सदैव पवित्र रखना चाहिए वरना घर परिवार में कलह की आशंका बनी रहती है।इस दिशा में पूजाघर स्थापित करें। पूजाघर के ऊपर या नीचे की मंजिल पर शौचालय या रसोईघर नहीं होना चाहिए, न ही इनसे सटा हुआ होना चाहिए।सफेद, हल्के नीले या पीले रंग का प्रयोग पूजाघर में शुभ माना जाता है।
4.वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोईघर का स्थान हमारे जीवन और परिवार के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। घर के मुख्य द्वार के सामने अगर आपका रसोईघर हो , तो उसका प्रभाव परिवार के आरोग्य पर पड़ता है। घर के दक्षिण-पूर्व कोने रसोई के स्थान के लिए सबसे आदर्श माने जाते है।
5. वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा में टायलेट बनाएं यह दिशा सौर ऊर्जा की विपरित दिशा हैं अतः इसे अधिक से अधिक बंद रखना चाहिए। ऐसा न होने पर स्नानघर में नमक से भरा कटोरा रखने से लाभ प्राप्त होता है।
6. वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा हमें ऊर्जा देती हैं। इस दिशा के स्थान को खुला और साफ़ रखना चाहिए।
7.वास्तु शास्त्र के अनुसार शयनकक्ष में झाडू न रखें। तेल का कनस्तर, अंगीठी आदि न रखें। व्यर्थ की चिंता बनी रहती है।
8. वास्तु शास्त्र के अनुसार बैठक में हलके रंगों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे गुलाबी, पीला, क्रीम ,हल्का भूरा या सफेद।
9. वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोईघर के लिए सबसे शुभ रंग सफेद या क्रीम रंग होता है।
10.वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानघर और शौचालय में सफेद, गुलाबी या हल्का पीला रंग का प्रयोग शुभ होता है।