सात फेरे से शुरू हुआ पति पत्नी का सफ़र जीवन भर रहता हैं, और इतना ही नहीं पत्नी जरूरत पड़ने पर सामाजिक मान्यताओं को तोड़कर पति की अंतिम यात्रा में भी पति का साथ दे सकती है इसकी एक मिसाल विकासनगर की 35 वर्षीय कविता ने पेश की हैं कविता के पति धर्म सिंह का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था ।
पति की लम्बी बीमारी के चलते आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण क्षेत्र की ‘साहस’ सामाजिक संस्था ने अंतिम संस्कार की व्यवस्था की। ऐसी स्थिति में पांच वर्षीय बेटी की माँ कविता ने समाज का मिथक को तोड़ते हुए खुद ही पति की चिता की मुखाग्नि दी । यह देख अंतिम यात्र में शामिल लोग अचंभित रह गए।
‘साहस’ सामाजिक संस्था कहना हैं कि वह मजदूरी कर बेटी का लालन-पालन करने वाली कविता व उसकी पांच वर्षीय बेटी के भरण-पोषण में हरसंभव सहयोग करेगी।