राहुल की ताजपोशी के बाद हरीश रावत का कद बढ़ा, पार्टी नेताओ में बेचैनी

0
1925

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी में कुछ बड़े बदलाव होने के संकेत हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद हरीश रावत के अच्छे दिन फिर से वापस आ सकते हैं। उत्तराखंड कांग्रेस में इस बात पर चर्चा जोरों पर है कि राहुल गांधी की नई टीम का हिस्सा कौन-कौन बनेगा। साथ ही क्या राहुल गांधी उत्तराखंड से किसी नेता को अपनी टीम में लेंगे।

कांग्रेस के युवा अध्यक्ष राहुल गांधी की नई टीम में उम्रदराज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अहम हिस्सेदार होंगे या राज्य की सियासत में उन्हें फिर असरदार बनाया जाएगा। इसे लेकर कांग्रेसी हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। रावत की दिल्ली में अचानक बढ़ी सक्रियता ने प्रदेश में भी पार्टी के अन्य नेताओ के कान खड़े कर दिए हैं। इससे आने वाले समय में पार्टी के भीतर नए सिरे से गोलबंदी होती दिखे तो आश्चर्य नहीं किया जा सकता।

राहुल के खास बताए जाते है हरीश रावत गौरतलब है कि हरीश रावत को हमेशा से राहुल गांधी का खास माना जाता रहा है। इसकी छाप तब दिखी जब राहुल गांधी ने पूर्व मे हुए विधानसभा इलेक्शन में चुनाव का जिम्मा हरीश के कंधों पर डाल दिया था। भले ही उसके बाद कांग्रेस को एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन राहुल का विश्वास हरीश के प्रति कम नहीं हुआ और उन्होंने गुजरात चुनाव हो या हिमाचल दोनों जगह उन्हें स्टार प्रचारक बनाकर न केवल उतारा बल्कि वो प्रचार में मीडिया का चेहरा भी बने रहे। हालांकि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावी नतीजों ने कांग्रेस को पस्त जरूर किया, लेकिन यह सबक भी दे दिया कि पार्टी को कुछ हासिल करना है तो जमीन पर सक्रिय भी रहना पड़ेगा। कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी के इसी रुख को भांपकर प्रदेश में कांग्रेस की सियासत में नई हलचल हिलोरें लेने लगी हैं।

केंद्र के साथ उत्तराखंड में भी नई टीम होगी गठित

केंद्र के साथ उत्तराखंड में भी पार्टी की नई टीम गठित की जानी हैं। प्रदेश के कांग्रेसी दिग्गजों की निगाहें नई बनने जा रही टीम राहुल पर भी गढ़ी हुई हैं। वजह ये है कि जो भी इस टीम का हिस्सा होगा, पार्टी में उसका कद और भूमिका दोनों ही अहम होना तकरीबन तय है। इसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खासे सक्रिय हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी में खुद को हाशिये पर पा रहे रावत ने अपनी सक्रियता में कमी नहीं आने दी है। साथ में यह ख्याल भी पूरा रखा कि प्रदेश संगठन और अन्य नेताओं से अलहदा पहचान रखी जाए।

दिग्गज नेताओ की बढ़ी बेचैनी

हालांकि, रावत की सक्रियता और पार्टी के भीतर संभावित भूमिका ने प्रदेश में पार्टी दिग्गज नेताओ की बेचैनी बढ़ा दी हैं। इसे देखते हुए पार्टी के भीतर नए सिरे से गोलबंदी आकार लेती दिखाई पड़ सकती है। बीते रोज नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह की प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में बंद कमरे में गुफ्तगू को भी इसी चिंता से जोड़कर देखा जा रहा है।

नोट: आपको हमारी खबर अच्छी लगे, तो like और शेयर जरुर करें……. 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here