केंद्र से लेकर राज्य सरकार भले ही स्वरोजगार की तरफ युवाओं को आकर्षित कर रही हो लेकिन आज भी धरातल कि स्थिति ये है कि प्रदेश के उद्योग आज भी भगवान भरोसे ही चल रहें है….आलम ये है की सरकार स्वरोजगार की बात तो करती है…लेकिन स्वरोजगार के लिए आज तक कोई बाजार तय नही कर पायी….
प्रदेश में स्वरोजगार योजना से जोड़ने की लिए सूबे का उद्योग विभाग हमेसा ततपर रहता है…जिसके लिए विभाग कई जन जागरूक कार्यकर्म के जरिये बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार की तरफ आकर्षित करने की बात करता है….यहाँ तक की कई योजनाए प्रदेश में एसी हें जिनमे 50 फीसदी तक उद्यमी को रिहायत भी मिलती है….लेकिन आलम ये है कि आज भी प्रदेश में करीब 10 लाख से अधिक युवा बेरोजगार सड़कों पर रोजगार की तलास में भटक रहें है….क्यूंकि प्रदेश में स्वरोजगार के लिए योजनायें तो हैं…लेकिन किसी भी सरकार ने इन योजनाओ के लिए कोई बाजार तय नही किया….जिस कारण आज का युवा स्वरोजगार की तरफ कम ही जा रहा है…. वहीं प्रदेश के बुद्धिजीवियों की माने तो उनका भी साफ तौर पर कहना है कि सरकार को कोई स्किल डेवलपमेंट के कार्यक्रम चलाने चाहिए जिससे की युवा को पता हो की आखिर में करना क्या है…. और सरकार को उद्यमियों के लिए बाजार भी मुहया करवाना होगा तभी युवा स्वरोजगार को अपनाएगा
प्रदेश में करीब 10 लाख से अधिक बेरोजगार आज भी हें मोजूद
हाई स्कूल से कम शिक्षण वाले बेरोजगार- 35110
हाई स्कूल पास वाले बेरोजगार – 167016
इंटर पास वाले बेरोजगार – 377702
BA पास वाले बेरोजगार – 223236
MA पास वाले बेरोजगार- 113688
इसमें देहरादून जिले समे सबसे ज्यादा बेरोजगार हें
देहरादून में बेरोजगारों की संख्या – 180261
चम्पावत में बेरोजगारों की संख्या – 23010
अल्मोड़ा में बेरोजगारों की संख्या- 69700
नैनीताल में बेरोजगारों की संख्या- 99004
पिथोरागड़ में बेरोजगारों की संख्या- 69355
उधमसिंह नगर में बेरोजगारों की संख्या- 100241
बागेश्वर में बेरोजगारों की संख्या- 30802
टिहरी में बेरोजगारों की संख्या- 69058
उत्तरकाशी में बेरोजगारों की संख्या- 39784
हरिद्वार में बेरोजगारों की संख्या- 101720
पोड़ी में बेरोजगारों की संख्या- 63852
चमोली में बेरोजगारों की संख्या- 42890
रुद्रप्रयाग में बेरोजगारों की संख्या- 27075
सरकार भले ही युवाओं को स्वरोजगार को परेरित करने के लिए मोटे तौर पर करीब सात बड़ी योजना चला रही हो …लेकिन स्वरोजगारियों के लिए बाजार की कोई व्यवस्था न होने के कारण तमाम योजना धरातल पर सफ़ेद हाथी साबित हो रहें हैं विभाग केवल बाजार के नाम पर मात्र मेलों तक ही सिमट कर रह गया
1-प्रधान मंत्री रोजगार श्रजन योजना
2-मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
3-सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME)
4-हेंडलूम मुद्रा योजना
5-आई डी पी एस योजना
6- महिला उद्यमी प्रोत्सहान योजना
7-बीर चन्द्र सिंह गड्वाली योजना
सरकार भले बेरोजगारों को स्वरोजगार के प्रति जागरूकता के लिए कई प्रयास करे लेकिन सवाल आज भी है की बिना बाजार के स्वरोजगार कैसा….सरकार अगर सही में युवाओं स्वरोजगार से जोड़ने की कवायत में हो तो सरकार को चाहिए कि पहले बाजार के लिए कोई ठोस नीति बने