देहरादून – राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने राजभवन में आयोजित वन्यजीव सप्ताह कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। उन्होंने इस अवसर पर वन एवं वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों और अन्य लोगों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान राज्यपाल ने तीन विभागीय लघु फिल्मों जिसमें गर्तांग गली ट्रैक, सिक्योर हिमालय और फुट सोल्जर का भी अनावरण किया। वन्यजीव सप्ताह के अवसर पर राजभवन में दून आर्ट काउंसिल और राजाजी नेशनल पार्क के संयुक्त प्रयासों से बाघ संरक्षण एवं जागरूकता के लिए लगी ‘‘फियरलैस बाघ’’ फोटो प्रदर्शनी का भी राज्यपाल ने अवलोकन कर प्रदर्शनी में लगाए गए चित्रों की प्रशंसा की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने उत्तराखंड देवभूमि के साथ-साथ वन भूमि भी है। उत्तराखंड को प्रकृति की नैसर्गिक सुंदरता की अनुपम देन प्राप्त जिसका संरक्षण करना हम सभी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार प्रकृति आधारित पर्यटन है। वनों पर काफी कुछ निर्भर है। उन्होंने कहा कि देवभूमि की जैविक विरासत पर हमें गर्व होना चाहिए। इस जैव विविधता को बचाए रखने की हम सबकी जिम्मेदारी है।
राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने वनों की प्राकृतिक स्वरूप को बचाने के साथ-साथ ऐसी सुविधाएं विकसित करनी होगी जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिले और स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़े। उन्होंने कहा कि हमारे सम्मुख वन्यजीव संघर्ष और वनाग्नि जैसी चुनौतियां है जिससे हमें निपटने के लिए ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन टेक्नोलॉजी और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए इन चुनौतियों के समाधान खाजने होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि युवाओं को वन संरक्षण और जैव विविधता के प्रति जागरूक किया जाना बहुत जरूरी है, जिससे वे इनका महत्व समझ सकें। वन आधारित पर्यटन में यहां अपार संभावनाएं हैं इसका हमें सदुपयोग करना होगा। उन्होंने अधिकारियों से जनपदों में नए वन आधारित पर्यटन स्थल विकसित करने को कहा। राज्यपाल ने कहा कि वन विभाग के कर्मी विपरीत परिस्थितियों में चुनौतियों के साथ बड़ी सेवा कर रहे है जिसके लिए वह प्रशंसा के पात्र है।
कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण मंत्री सुबोध उनियाल ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखण्ड की अलौकिक सुंदरता के साथ-साथ यहां पर प्रकृति अपने अलौकिक रूप में है। उत्तराखण्ड में तेजी से वनों के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हो रही हैं। यहां आर्थिक संसाधन बहुत अधिक वनों पर निर्भर है। हमें वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास देने होंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारा दायित्व है कि हम वनों के संरक्षण में देश और दुनिया का नेतृत्व करें।