विजयदशमी की शुभकामनाएं। हर शहर मे आज रावण जलाने की उत्सुकता होगी। पहले तो शहर में बस एक रावण जा दिया जाता था। पर अब हर गली मौहल्लों में अलग अलग रावण जलाने की परंपरा बना दी गई है। हम लंकेश है। सुनने में कितना मजा आता है। पर क्या आप जानते है रावण एक ही नही था। कई थे, है, और रहेगे। चौकिए मत ये रावण हम में ओर आप में अभी तक जिंदा है। मरा नही।
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी भी आज लखनऊ में रावण दहन करेंगे। पर्व है उत्सुकता होनी भी चाहिए। पर सवाल यह है कि मात्र रावण का पुतला दहन करने से बुराई का अंत हो जाएगा। उस बुराई का क्या जो लोगों के मन में घर करके बैठी है। लालच, बेईमानी, मक्कारी, भष्ट्राचार, ईर्ष्या, द्वेष और जाने क्या-क्या। एक रावण का पुतला फूंकने से तो बुराई का अंत संभव नही।
क्या ऐसा नही हो है कि हर विजयदशमी में लोग अपने अंदर की एक बुराई छोड़ें। ’हां ये बात भी हे कि लोग मानने को तैयार भी नही कि उनके अंदर बुराई भी है।’
कितना अजीब लगता है कि रावण के अवगुणों को याद करके उसे जलाया जाता है और सीख दी जाती है बुराई पर अच्छाई की जीत। पर अपने अंदर के रावण का स्वाहा कब किया जाएगा। अगर आज कोई भी व्यक्ति अपने अंदर के रावण को जलाए और विजयदशमी का पर्व बनाए तो सही मायनों में विजयदशमी की शुभकामनाएं दीजिए। औरो पर उंगली उठाने में बुराई नही है। पर अपने अंदर झांक कर जरूर देखे कि कही आप भी सिर्फ की बुराई करने में तो व्यस्त नही। अगर है तो क्या ये आपकी बुराई नही। ये बुराई आप में रावण की छवि को नही झलकाती। एक बार सोचिएगा जरूर..
जनाब! अपने मन के रावण को मारिए तब ही असल मायने में विजयदशमी है। नही तो हर दिन रावण है हर घर रावण है।
शुभकामनाए…..