1989 बैच के सीनियर IPS अधिकारी अशोक कुमार की गिनती तेज-तर्रार पुलिस अधिकारियो में होती है। अशोक कुमार उत्तराखंड में एडीजी लाॅ एंड आॅर्डर की जिम्मेदारी संभाल रहे है।अशोक कुमार अपनी कर्तव्य निष्ठा और ईमानदार छवि की वजह से लोगो के चहेते अधिकारी बने हुए है। हरियाणा के पानीपत जिले के कुराना गांव में जन्में अशोक कुमार का पुलिस विभाग में लंबा सफ़र रहा है। राज्य ही नहीं उन्होंने केंद्र में बीएसएफ़ औऱ सीआरपीएफ में भी महत्वपूर्ण पदों की अहम ज़िम्मेदारी सँभाली है। वो अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर संयुक्त राष्ट्र में कोसोवो में भी अपने सेवाएँ दे चुके हैं। आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई करने वाले कुमार का नाम क़ानून व्यवस्था को सुदृढ़ रखने के अलावा पुलिस विभाग के बेहतरी के लिये कई कदम उठाए हैं।
विशेष योगदान के लिये आईआईटी दिल्ली ने पुरूष्कृत
देश के इन्जीनियरिंग क्षेत्र के प्रमुख संस्थान आईआईटी दिल्ली ने आईपीएस अधिकारी अशोक कुमार को राष्ट्र के प्रति उनके विशेष योगदान के लिये पुरूष्कृत भी किया है। इनके द्वारा पुलिस सेवा में कानून व्यवस्था बनाने के साथ साथ आतंकवाद के खिलाफ़ तराई क्षेत्र विशेष अभियान चलाते हुए कुख्यात आतंकी हीरा सिंह का खात्मा किया गया। इन्होनें आई.जी. कुमायूं/गढ़वाल के पद पर रहते हुए भी पुलिस की रोजमर्रा के कार्यां के अतिरिक्त समाज से जुड़कर अपना योगदान दिया।
ए.डी.जी इन्टेलीजेन्स व निदेशक सतर्कता के पद पर रहते हुए इनके नैतृत्व में 50 से अधिक उत्तराखण्ड के भ्रष्ट अधिकारियों/कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया जो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ व राष्ट्र विकास के लिये चल रही मुहिम में एक बड़ा योगदान था। बी.एस.एफ. में आई.जी. के पद पर कार्य करते हुए इनके द्वारा केदारनाथ आपदा के समय केदार घाटी के गॉवों को पुर्नस्थापित करने हेतु बी.एस.एफ. की विशेष टीम बनाकर अपने नैतृत्व में कालीमठ मन्दिर के बचाव हेतु व आस पास के गॉवों को पुर्नस्थापित करने हेतु विशेष योगदान दिया।
लेखक भी IPS अशोक कुमार
पुलिसिंग साथ साथ इनके द्वारा रचित पुस्तक `खाकी में इन्सान` जिसमें पुलिस सेवा में रहते हुए कैसे आम आदमी की मदद की जा सकती है को दर्शाया गया है, जिस हेतु इनको भारत सरकार द्वारा जी.बी. पन्त पुरूस्कार प्राप्त हुआ। इनके द्वारा यूएन मिशन में अपनी सेवायें प्रदान की हैं व इन्हें वर्ष 2001 में यूएन मैडल, राष्ट्रपति द्वारा उत्कृष्ट सेवाओं के लिये वर्ष 2006 में पुलिस पदक तथा वर्ष 2013 में राष्ट्रपति पदक प्राप्त हुआ।
‘खाकी में इंसान’ नवंबर 2009 में प्रकाशित हुई थी। 1989 बैच के आईपीएस अफसर अशोक कुमार ने यह किताब उत्तराखंड के कुमायूं रेंज का आईजी होने के दौरान लिखी थी। किताब में ‘लीक से हटकर -इंसाफ की डगर’, ‘सेवक नहीं, साहब हैं हम’, ‘चक्रव्यूह’, ‘पंच परमेश्वर या…, ‘भू-माफिया’, ‘तराई में आतंक की दस्तक’ जैसी कई घटनाओं का उल्लेख है जिसमें यदि दृढ़ इच्छाशक्ति से काम न लिया जाता तो पीडि़त को इंसाफ न मिलकर उनकी फाइल ‘सीन फाइल’ बनकर खत्म हो गई होती।
इनके पुलिस सेवाओं में समाज के लिये विशेष योगदान देने हेतु आतंकवाद के खिलाफ, भ्रष्टाचार के खिलाफ विशेष मुहिम चलाने हेतु, खेलों के क्षेत्र में विशेष योगदान देने हेतु, साहित्य के क्षेत्र में योगदान देते हुए युवाओं को अच्छे कार्य करने हेतु प्रेरित करने के कारण आईआईटी दिल्ली एलुमनी एसोसिएशन ने अशोक कुमार को इस विशेष पुरस्कार हेतु चुन कर सम्मानित किया।
विभाग में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना इनका है मकसद
पुलिस ऑफिसर एडीजी अशोक कुमार ने पुलिसिंग को और बेहतर बनाने और लोगों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए कई अहम निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने जीरो टोलरेंस की थीम को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश के हर थाने में भ्रष्टाचार के खिलाफ जन जागरूकता की जानकारी वाला बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं एडीजी अशोक कुमार ने उत्तराखंड में भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर अंकुश लगाने के लिए सोशल मिडिया का सहारा लिया है एडीजी अशोक कुमार ने जनता से सीधा संवाद स्थापित करने की पहल शुरु करते हुए लोगो से भ्रष्टाचार विरोधी शिकायते व्हाट्सएप्प, फेसबुक, और ई मेल के जरिए पुलिस मुख्यालय भेजने की अपील की है।