यूएन में बलूचिस्तान का मुद्दा उठाने पर फैसला सरकार पर : कांग्रेस

0
734

49657525

 

नई दिल्ली :  ने शुक्रवार को कहा कि बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाने पर फैसला करना सरकार पर निर्भर करता है। पार्टी ने यह टिप्पणी तब की है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन का जिक्र किया था।

बहरहाल, कांग्रेस ने मोदी को याद दिलाया कि कूटनीति ‘तस्वीरें खिंचवाने का मौका’ नहीं होती और इसमें गहराई एवं गंभीरता की जरूरत होती है।

कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या भारत को बलूचिस्तान का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाना चाहिए, इस पर उन्होंने कहा, ‘इस पर फैसला करना तो सरकार पर निर्भर करता है। पहले प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि क्या उनके पास कोई परिकल्पना और आगे बढ़ने का कोई खाका है।’ उन्होंने कहा, ‘कूटनीति में गहराई और गंभीरता की जरूरत होती है। हम प्रधानमंत्री को याद दिलाना चाहते हैं कि यह कोई तस्वीर खिंचवाने का मौका नहीं होता, पठानकोट, गुरदासपुर में खामियाजा भुगतना पड़ा है।’ शर्मा ने कहा कि यह दुखद है कि कश्मीर में तनाव काफी बढ़ गया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित संप्रग नेताओं ने 2005, 2006 और 2009 में बलूचिस्तान के मुद्दे पर बोला था।

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के बारे में उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा से यह रुख अपनाया है कि पीओके पर अवैध तरीके से कब्जा किया गया है। उन्होंने कहा, ‘संसद का एक प्रस्ताव बेहद स्पष्ट है। अभी भी दोनों सदनों ने प्रस्ताव स्वीकार किया है।’ शर्मा ने यह भी कहा कि पिछले साल 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी का कुछ देर के लिए लाहौर में पड़ाव ‘कोई अचानक हुई यात्रा नहीं थी।’ उन्होंने कहा, ‘काबुल से लाहौर की उड़ान भरते हुए आप तोहफे नहीं खरीदते। थलसेना और वायुसेना ने उन्हें परंपरागत सलामी नहीं दी…यह इस महान देश का अपमान था।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here