किसी को भी ‘चिंकी’ या ‘निगा’ कहकर हम इतने स्वाभाविक हो जाते है कि हम भूल जाते हैं कि ये चुटकुले नहीं हैं, ये नस्लीय अपमानजनक शब्द हैं जो किसी के आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकते हैं।
न तो हम नतीजों के बारे में दो बार सोचते हैं और न ही हम उस व्यक्ति की उम्र पर विचार करते हैं जिसे हम अपमानित कर रहे हैं बल्कि ऐसी ही चौंकाने वाली घटना में, एक वृद्ध व्यक्ति को दिल्ली मेट्रो में इस नस्लीय शोषण का शिकार होना पड़ा, क्योंकि उसकी दाढ़ी थी पर मूछे नहीं थी और वह ‘एक मुस्लिम जैसा दिख रहा था’।
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेन्स एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन ने अपने फेसबुक पोस्ट पर इस घिनौनी घटना को पोस्ट किया है ।
एक वरिष्ठ नागरिक दिल्ली मेट्रो में सीट की तलाश में थे और वरिष्ठ जवानों के लिए आरक्षित सीटों पर बैठे युवा लोगों से अनुरोध किया कि उन्हें सीट दे दे। बुज़ुर्ग को सीट देने की बजाय, उन दोनों लोगों ने कथित तौर पर कहा, “यह सीट हिंदुस्तानियों के लिए हैं पाकिस्तानी के लिए नहीं” और उन्हें अपमानित किया और यहां तक कि उन्हें पाकिस्तान जाने के लिए कहा।
सबसे पहले, यदि सीट बुजुर्ग लोगों के लिए आरक्षित है, तो आप उनसे इंकार नहीं कर सकते हैं और दूसरी बात, आप किसी व्यक्ति को जिस तरह से वह दिखते हैं, उससे मुस्लिम होने का अनुमान नहीं लगा सकते। यह पूरी घटना एक साथी ट्रैवेलर, कॉमरेड संतोष रॉय ने देखी थी, जिन्होंने हस्तक्षेप भी किया और उन लोगों से उस व्यक्ति से माफी मांगने को कहा। लेकिन, हम भावनात्मक रूप से प्रेरित पीढ़ी हैं, उन लोगों ने रॉय को उनके कॉलर पकड़ कर कथित तौर पर उन्हें बुजुर्ग आदमी के साथ “पाकिस्तान जाना” कहा।
गार्ड के आने के बाद तनाव शांत हुआ । बाद में पंडारा रोड पुलिस स्टेशन पर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी