श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ05 का प्रक्षेपण करेगा जो मौसम पर निगाह रखने के लिए सैटेलाइट इनसैट-3डीआर को लेकर जायेगा. जीएसएलवी-एफ05/इनसैट 3डीआर मिशन आज शाम 4.10 बजे पूरा किया जाएगा, इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित किया जाएगा. इससे पहले इसरो ने 27 अगस्त, 2015 को जियोसिनक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल का आखिरी प्रक्षेपण किया था.
उस समय जीएसएलवी-डी6 का प्रक्षेपण किया था जो अपने साथ संचार उपग्रह जीसैट-6 ले गया था. जीएसएलवी-एफ05 अब अपनी दसवीं उड़ान में 2,211 किलो ग्राम के बहुत ही नये तकनीकी से बना मौसम वेदर सैटेलाइट इनसैट-3डीआर को जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट में भेजेगा. जीएसएलवी-एफ05 उड़ान में इंडिजिनस क्रायोजेनिक अपर स्टेज चौथी बार जीएसएलवी की उड़ान में सवार किया जाएगा.
जीएसएलवी-एफ05 की उड़ान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीयूएस से लैस जीएसएलवी की पहली परिचालन उड़ान है. जीएसएलवी-एफ05 की संरचना तीन चरणों में की गयी है जिसमें जीएसएलवी-डी5 और डी6 जैसे पूर्व के प्रक्षेपणों की तरह सीयूएस शामिल हैं जिन्होंने जनवरी, 2014 में जीसैट-14 तथा अगस्त, 2015 में जीसैट-6 को कामयाबी से ऑर्बिट में स्थापित किया था.
जीटीओ पहुंचने के बाद उपग्रह के सौर पैनल तत्काल तैनात हो जाएंगे. कर्नाटक के हासन में स्थित इसरो का मास्टर कंट्रोल प्रतिष्ठान उपग्रह पर नियंत्रण करेगा और ऑर्बिट बढ़ाने का शुरूआती अभियान पूरा करेगा तथा उसे सकरुलर ज्योस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित करेगा. इस पूरी प्रक्रिया के प्रक्षेपण के 17 मिनट में पूरा होने की उम्मीद है. इसरो ने 26 जुलाई, 2013 को फ्रेंच गुयाना से अत्याधुनिक मौसम उपग्रह इनसैट-3डी भेजा था. इनसैट 3डीआर इसके बाद इनसैट 3डी से मिलने वाली सेवा कोस्ट गॉर्ड, इंडियन एयरपोर्ट अथॉरिटी, शिपिंग और डिफेंस सहित दूसरे लोगों को भी मुहैया कराई जा रही ट्रांसपोर्ट रिलेटेड सर्च ऑपरेशन और डिफेंस सर्विस का हिस्सा बन जाएगा. इनसैट 3डीआर दस सालों तक काम करेगा.