भोलेनाथ की महिमा न्यारी है। थोड़े से प्रयास में प्रसन्न होने वाले शिव अपने भक्तों के दर्द और परेशानियों को चुटकी में दूर कर देते है। तभी उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है। सोमवार को शिव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। कहते है मात्र “ऊं नमः शिवाय” जाप से शिवजी अपने भक्तों पर दया कर देते है। उनका महामृन्युजंय जप की भी महिमा अपार है।
मान्यता ये भी है कि सोमवार को भगवान शिवजी का व्रत और पूजन से मन चाहा जीवनसाथी भी मिल जाता है। वैसे तो शिवलिंग में जल चढ़ाने मात्र से भी दयालु शिव अपने भक्त से प्रसन्न हो जाते है। पुरानों में शिव जी की आरती का विशेष महत्व बताया गया है। कहते है इसके जप मात्र से तीनों देवता यानी बहमा जी,विष्णु और स्वंय शिव भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते है। गणेश और कार्तिक शिव जी के पुत्र होने की वजह से भी शिव भक्तों से प्रसन्न रहते है।शिव अमंगल को दूर कर मंगल करने वाले है , तो आप भी अद्धनारेश्वर की इस आरती को जप कर तृप्त होए और देवआओं की कृपा के पात्र बने।
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥