भारतीय संस्कृति और परंपरा में पर्वों के रूप में प्रकृति तथा जीवन को संवारने के महत्वपूर्ण उपाय किए जाते हैं। यही कारण है कि भारतीय वांगमय में जीवन को जीव व वन की संज्ञा दी गई है। अगर जीव और वन नहीं रहेंगे तो जीवन भी नहीं रहेगा। इसीलिए हमारी परंपरा मेंं प्रकृति पर्वों का विशेष महत्व है। इन्हीं पर्वों में शामिल है हरियाली तीज। प्रकृति से जुड़ा यह पर्व सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ता है। इस बार हरियाली तीज सोमवार 13 अगस्त को मनाई जाएगी।
इस पर्व को भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत में सुहागन महिलाएं इस खास पर्व का दिल से इंतजार करती हैं। क्योंकि इस दिन वे सुंदर वस्त्र और 16 श्रृंगार कर के पारंपरिक लोग गीत पर नाचती-गाती हैं।
इस पर्व का शुभ मुहूर्त सोमवार सुबह 08:36 से प्रारंभ होगा और 14 तारीख प्रात: 05 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगा। यदि आप भी हरियाली तीज पर व्रत रख रही हैं तो पूजा की आवश्यक सामग्री और पूजा विधि के बारे में जरूर जान लेना चाहिए।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
बेल पत्र , केले के पत्ते, धतूरा, अंकव पेड़ के पत्ते, तुलसी, शमी के पत्ते, काले रंग की गीली मिट्टी, जनैव, धागा और नए वस्त्र।
पार्वती जी के श्रृंगार के लिए जरूरी सामग्री
चूडियां, महौर, खोल, सिंदूर, बिछुआ, मेहंदी, सुहाग पूड़ा, कुमकुम, कंघी, सुहागिन के श्रृंगार की चीज़ें।
इसके अलावा श्रीफल, कलश,अबीर, चंदन, तेल और घी, कपूर, दही, चीनी, शहद ,दूध और पंचामृत आदि।
पूजा करने की विधि
- सुबह उठ कर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद मन ही मन पूजा करने का संकल्प लें और ‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें।
- पूजा शुरू करने से पहले काली मिट्टी के प्रयोग से भगवान शिव और मां पार्वती तथा भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं। फिर थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजा कर माता पार्वती को अर्पित करें।
- ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं। उसके बाद तीज की कथा सुने या पढ़ें। फिर गणेश जी की आरती करने के बाद शिव जी और मां पार्वती की आरती करें।
- रातभर जागें और अगले दिन सुबह तीनों भगवान की पूजा कर के मां पार्वती को सिंदूर अर्पित करें। फिर भगवान को खीरा और हलवा अर्पित कर के खुद का व्रत खीरा खा कर खोल सकते हैं।