राजस्थान की भूमि सदा से ही महापुरुषों और वीरों की भूमि रही है। यह धरती हमेशा से ही अपने वीर सपूतों पर गर्व करती रही है। 1540 ईसवी में आज ही के दिन एक लड़का पैदा हुआ था, जो सदियों तक बहादुरी की मिसाल रहा. नाम, महाराणा प्रताप. उन्हीं वीरों में से एक थे महाराणा प्रताप। राणा कुम्भा और राणा सांगा के गौरवशाली इतिहास वाला मेवाड़ का सिसौदिया वंश.
1576 में हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच ऐसा युद्ध हुआ, जो पूरी दुनिया के लिए आज भी एक मिसाल है।
हल्दीघाटी का युद्ध याद अकबर को जब आ जाता था ,
कहते है अकबर महलों में, सोते-सोते जग जाता था!
प्रताप की वीरता ऐसी थी कि उनके दुश्मन भी उनके युद्ध-कौशल के कायल थे। माना जाता है कि इस योद्धा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थीं।
महाराणा प्रताप ने शक्तिशाली मुगल बादशाह अकबर की 85000 सैनिकों वाले विशाल सेना के सामने अपने 20000 सैनिक और थोड़े-से संसाधनों के बल पर स्वतंत्रता के लिए वर्षों संघर्ष किया। राणा दोनों हाथों में भाले लेकर विपक्षी सैनिकों पर टूट पड़ते थे. हाथों में ऐसा बल था कि दो सैनिकों को एक साथ भालों की नोंक पर तान देते थे.
महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था।