

देहरादून। विश्व आयुर्वेद परिषद द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगोष्ठी/ कार्यशाला का सात जून को समापन किया जाएगा। इसी संदर्भ में महर्षि चरक की जन्म स्थली चरक डांडा में विश्व आयुर्वेद परिषद द्वारा आयुर्वेद कौशलम् 2018 का आयोजन किया गया। आयुर्वेद कौशलम् के 5वें दिन कार्यशाला में प्रतिभाग कर रहे सात प्रांतों के 12 आयुर्वेदिक कॉलेजों से आए विद्यार्थियों, चिकित्सकों ने भाग लिया। जिनकी संख्या लगभग 650 है। इन लोगों ने महर्षि चरक को नमन किया तथा शोभायात्रा निकाली। लगभग 6600 फीट की ऊंचाई पर महर्षि डांडा महर्षि चरक की तपस्थली मानी जाती है। इस स्थल पर एक प्राचीन बांज प्राजाति वृक्ष है जिसे ग्राम देवता के रूप में पूजा जाता है। यहीं महर्षि चरक की स्थापना हुई है।
जानकारी देते हुये विश्व आयुर्वेद परिषद के अध्यक्ष डॉ. यतेंद्र सिंह मलिक ने बताया कि चरक डांडा में यज्ञ, हवन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। यहीं पर लगभग 500 की संख्या में उपस्थित ग्रामवासियों ने विधि विधान से महर्षि की पूजा की। गुजरात के प्रख्यात वैद्य पांचा भाई दमणीय, वैद्य धर्मेंद्र भाई पटेल, पूना के वैद्य अभिजीत, डॉ. प्रेमचंद शास्त्री, अध्यक्ष यतेंद्र सिंह मलिक, वैद्य विनीष गुप्ता, अनुमेहा जोशी, डॉ. विनोद उपाय, नोएडा के डॉक्टर सुरेंद्र चौधरी विशेष रूप से उपस्थित थे।
डॉ. मलिक का कहना है कि विश्व आयुर्वेद परिषद आयुर्वेद को प्रतिष्ठित करने का कार्य कर रहा है जहां पांचा भाई दमणीयां ने चरक संहिता पर अपना व्याख्यान दिया। रीच संस्था के लोकेश ओहरी ने प्लास्टिक को पर्यावरण के विरूद्ध बताया तथा मिट्टी के कुल्हड़ों के प्रयोग पर बल दिया। एक जून को अग्रवाल धर्मशाला से प्रारंभ इस कार्यक्रम का समापन सात जून को 12 बजे से 2 बजे को होगा। परिषद द्वारा कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे।



