
एक तरफ भारत का जुडिशियल सिस्टम है तो दूसरी तरफ ममता बनर्जी, जिन्होंने अपनी मन मर्जी करने की ही ठान रखी है. हाल ही में कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी और धर्म पक्षता की मनाही की थी . पर ममता ज्यों की त्यों नज़र आ रही हैं. न ही उनके रवैये में कोई बदलाओ आया न ही उन्होंने कोर्ट के फैसले पर ठीक से अमल किया. कलकत्ता हाइकोर्ट की ओर से दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर रोक हटाए जाने के बाद भी ममता बनर्जी पीछे हटने को तैयार नहीं दिखतीं.
अब उन्होंने विसर्जन पर अड़ंगा डालने के लिए नया फरमान जारी कर दिया है. इस नए फरमान के मुताबिक अब दुर्गा पूजा आयोजकों को विसर्जन के लिए पुलिस की मंजूरी लेनी होगी और पुलिस अगर सुरक्षा इंतजामों को लेकर संतुष्ट हुई तभी वे विसर्जन कर पाएंगे. इससे हाईकोर्ट के आदेश के बाद ममता ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि जरूरत पड़े तो मेरा गला काट दो, लेकिन कोई भी मुझे ये नहीं बता सकता कि क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए. शांति बनाए रखने के लिए मैं वो सब करूंगी जो भी मुझे करना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि ममता सरकार ने फैसला लिया था कि मुहर्रम के अगले दिन ही दुर्गा प्रतिमा विसर्जन होगा. पश्चिम बंगाल सरकार ने फैसला लिया कि मुहर्रम के दिन को छोड़कर 2, 3 और 4 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया जा सकता है.. जिसपे कलकत्ता हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुनते हुए राज्य की ममता सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि आप दो समुदायों के बीच दरार क्यों पैदा कर रहे हैं. दुर्गा पूजा और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसी स्थिति नहीं बनी है उन्हें साथ रहने दीजिए.
अब देखना ये होगा की इतना कुछ होने के बावजूद भी, सीएम साहिबा को और कितनी चुनौती मिलती हैं और क्या वो इसी तरह अपनी जिद्द पर अडी रहेंगी ??