ममता बनर्जी का विवादों और मुसीबतों से पीछा छूटने का नाम ही नहीं ले रहा है. कभी गोरखालैंड की मांग तो कभी भाजपा को आड़े हाथ लेने की कोशिश.. हालही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक बार फिर ममता बनर्जी सरकार को फटकार लगाई.
गौरतलब है कि विसर्जन पर पाबंदी को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में ममता बनर्जी के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. दरअसल, याचिका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 23 अगस्त को किए गए ट्वीट को केंद्र में रखकर किया गया था. जिसमें दशमी के दिन 6 बजे तक ही विसर्जन की इजाजत दी गई थी, क्योंकि अगले दिन मुहर्रम है. लिहाज़ा, बाद में विसर्जन पर रोक लगा दी गई थी और विसर्जन 2 तारीख से किए जाने के आदेश दिए गए थे.
इसको लेकर यूथ बार एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट के लाखों फॉलोवर हैं और ये समुदाय विशेष के तुष्टिकरण के लिए बड़े समुदाय के धार्मिक रस्म रिवाज के साथ ठीक नहीं किया जा रहा है. इससे भावनाएं आहत होने के साथ सद्भाव बिगड़ने की भी आशंका है. साथ ही संविधान की धारा 14, 25 और 26 का उल्लंघन भी है.
गुरुवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा है कि पहले सरकार को सिलसिलेवार तरीके से कदम उठाने होंगे फिर प्रतिबंध लगाना सबसे आखिरी विकल्प है. कोर्ट ने कहा कि सरकार आखिरी विकल्प का इस्तेमाल सबसे पहले क्यों कर रही है.
HC ने कहा है कि सरकार को प्रतिबंध लगाना है तो सभी पर क्यों नहीं लगाया. HC ने ये भी कहा कि “सरकार बिना आधार, अपने अधिकार का इस्तेमाल कर रही है. सरकार कैलेंडर को नहीं बदल सकती है, क्योंकि आप सत्ता में हैं इसलिए दो दिनों के लिए बलपूर्वक आस्था पर रोक नहीं लगा सकते हैं. और सरकार को हर हालात के लिए तैयार रहना होगा.”
वहीं, सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि क्या सरकार को कानून व्यवस्था का अधिकार नहीं है. वकील की ओर से कहा गया है कि अगर कानून व्यवस्था बिगड़ी तो किसकी जिम्मेदारी होगी.
इससे पहले भी बुधवार को कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को कड़ी फटकार लगते हुए कहा था कि, “आप दो समुदायों के बीच दरार पैदा क्यों कर रहे हैं. दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसे स्थिति नहीं बनी है. उन्हें साथ रहने दीजिए.”
बता दें कि इसके पहले हाईकोर्ट के दखल के बाद ममता बनर्जी सरकार को मूर्ति विजर्सन की तय समय सीमा के फैसले को बदलना पड़ा था. राज्य सरकार ने विजयदशमी के दिन विसर्जन की समय सीमा जो पहले 6 बजे तक निर्धारित कर दी गयी थी, उसे बढ़ाकर रात 10 बजे तक कर दिया गया था.
पिछले साल भी ममता बनर्जी के इसी तरह के आदेश पर मामला कोर्ट में गया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगते हुए कहा था कि ये तुष्टीकरण की नीति है और राजनीति को धर्म से न जोड़ते हुए कहा था कि 1982 और 1983 में दशमी और मुहर्रम इसी तरह एक दिन आगे पीछे पड़ा था तब तो कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी.