देहरादून – देशभर में इन दिनों दशहरे की खूब धूम देखने को मिल रही है। इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था और लंका पर विजय पाई थी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसी भी जगहें हैं जहां आज भी रावण के पुतले को नहीं जलाया जाता है। हालांकि इसके पीछे कुछ कहानियां छिपी हुई हैं।
इन राज्यों में नहीं जलाया जाता रावण का पुतला
महाराष्ट्र (गडचिरोली)
महाराष्ट्र के गडचिरोली में आज भी रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। इसके पीछे की कहानी यह है कि यहां गोंड जनजाति के लोग रहते हैं, जो खुद को रावण का वंशज मानते हैं। यही वजह है कि आज भी वहां रावण दहन नहीं होता है बल्कि वे उसकी पूजा करते हैं।
उत्तराखंड (कांगड़ा)
उत्तराखंड के कांगड़ा में भी रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां रावण ने भगवान शिव की कठिन तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया था। इसलिए यहां के लोग रावण को महादेव का सबसे बड़ा भक्त मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं। यही वजह है कि यहां रावण दहन नहीं किया जाता।
ऐसी मान्यता है कि यहां रावण का जन्म हुआ था। इस वजह से यहां के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और दशहरे के दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं न कि उनका पुतला फूंकते हैं।
मध्य प्रदेश (मंदसौर)
मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी दशहरा नहीं मनाया जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म मंदसौर में ही हुआ था, इस लिहाज से रावण मंदसौर के दामाद हुए और दामाद की मृत्यु की खुशी नहीं मनाई जाती है। इसलिए यहां रावण दहन नहीं किया जाता बल्कि यहां दशहरा के दिन रावण की मृत्यु का शोक मनाया जाता है।
राजस्थान (मंडोर)
राजस्थान में स्थित मंडोर के लोगों का मानना है कि यह स्थान मंदोदरी के पिता की राजधानी थी और रावण ने इसी जगह पर मंदोदरी से विवाह किया था। इसलिए यहां के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं। इसलिए यहां विजयदशमी पर रावण के पुतले को नहीं जलाया जाता।