श्रावण के महीने में भोले नाथ की पूजा अर्चना होती है, और भोले नाथ को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र भी अर्पण किया जाता है। क्या आप जानते है बेलपत्र में माँ पार्वती का स्वरुप समाया है । जी हाँ स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। चुंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ। इसलिए ऐसा मन जाता है की बेलपत्र में माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं। पेड़ की जड़ में गिरिजा का स्वरूप,तनों में माहेश्वरी का स्वरूप और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के अक्ष माने जाते हैं । फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है। तो वहीँ मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है।
बेलपत्र माता पार्वती का प्रतिबिंब माना जाता है इसलिए बेलपत्र को भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है की शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने से भगवान् शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तो की मनोकामना पूर्ण करते हैं। ऐसा कहा जाता है की , जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता , अगर वह श्रावण मास में बिल्व के पेड़ के मूल भाग की पूजा करके उसमें जल अर्पित करे तो उसे सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है।