बुढ़वा मंगल आज, हनुमान जी ने लंका दहन कर तोड़ा था रावण का घमंड, आज करें इस हनुमान मंत्र का जाप, खुल जाएंगे बंद किस्मत के ताले……..

hanumanहिंदू धर्म में हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना गया है। इन्हें कई और नामों से जाना जाता है। जैसे कि रामभक्त हनुमान, बजरंगबली, पवनपुत्र, अंजनी पुत्र।  भाद्रपद माह के अंतिम मंगलवार को बुढ़वा मंगल मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी के दर्शन व पूजन से विशेष लाभ मिलता है। जिसके कारण आज के दिन भगवान हनुमान की पूजा विधि-विधन और सही मंत्र का जाप करने से सभी परेशानियों से निजात मिल जाएंगा। इसके साथ ही आपके किस्मत के ताले भी खुल जाएंगे। आज भाद्रपद माह का अंतिम मंगलवार है जिसे बुढ़वा मंगल कहा जाता है। बुढ़वा मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और दर्शन करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और अटके हुए काम पूरे होने लगते हैं।क्यों कहते हैं इसे बुढ़वा मंगल
पुराणों के अनुसार भाद्रपद महीने के आखिरी मंगलवार को माता सीता की खोज में लंका पहुंचे हनुमान जी की पूंछ में रावण ने आग लगा दी थी। जिसके बाद हनुमान जी ने विराट स्वरूप धारण कर सोने की लंका का दहन किया था। हनुमान जी ने आज के ही दिन अपनी पूंछ में लगी आग को बड़वानल अग्नि में बदल दिया था। इस कारण से भाद्रपद महीने के अंतिम मंगलवार को बुढ़वा मंगल कहते हैं। विराट स्वरूप को धारण करने और बडनावल अग्नि पैदा कर रावण का घमंड चूर किया था।  इस दिन बडवानल  स्तोत्र के 108 पाठ करने से जीवन में आने वाली विपत्तियों का नाश हो जाता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।अगर आपके हर काम में कुछ न कुछ रुकावट आ रही हो, बनते काम बिगड़ रहे हो, विवाह में देरी हो रही हो या फिर किसी यात्रा में में जा रहे है, तो आज इन मंत्रों का जाप करें ले। इन मंत्र साधने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और शरीर में चुस्ती, मन में शांति और आत्मा को उत्साह मिलता हैं। हनुमान साधाना करने से पहले कुछ नियमों का पालन करना जरुरी हैं।

अगर आपके काम में रुकावट आ रहा है, तो आज और हर मंगलवार हनुमानजी के मंदिर में जाकर गुड एवं चने का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। उस प्रसाद को वहीं मंदिर में ही बांट देना चाहिए। रोज सुबह निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए।

आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर
त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात  

इसके अलावा आप इन हनुमान मंत्रों का भी जाप कर सकते है।
ओम नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमित विक्रमाय प्रकटपराक्रमाय महाबलाय सूर्य कोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

 

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