नारायण दत्त तिवारी के ड्रीम प्रोजेक्ट यानी डा.सुशीला तिवारी अस्पताल को जिन सुविधाओं से लैस कराने की कल्पना की गई थी वो सुविधाएं तो अस्पताल में उपलब्ध करायी गई पर लंबे समय तक इस सुविधाओं और व्यवस्थाओं को दुरूस्त नही रखा जा सका। जिसका परिणाम ये हुआ कि मरीजों को ईलाज देने के लिए बना अस्पताल आज खुद ही बीमार रहने लगा है। बीमार हॉस्पिटल की दशा देखकर पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी आपे को संभाल नही सके और फूट फूट कर रोने लगे।
एनडी तिवारी ने पत्नी उज्जला शर्मा और बेटे रोहित के साथ सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। हॉस्पिटल में फैली गंदगी और अव्यवस्थाओं को देखकर एनडी तिवारी का मन भर आया और भावुक होते हुए तिवारी अस्पताल प्रबंधन से बोले कि मेरी पत्नी का नाम इस तरह बदनाम न करो।
इस दौरान रोहित ने पिता से अस्पताल के हाल के बारे में बात करते हुए कहा था कि प्रदेश मुख्यमंत्री ने अस्पताल को दुरूस्त करने का आश्वासन दिया था पर अभी तक कुछ नही हुआ है। अस्पताल में दो घंटे के दौरान उनकी आंखों से तीन बार आंसू निकले और इस भावुक स्थिति को देख अस्पताल प्रबंधन भी सकते में आ गया।
एनडी को दोपहर एक बजे व्हील चेयर से अस्पताल के अंदर लाया गया। अपनी पत्नी डॉ. सुशीला तिवारी की मूर्ति को देखने के बाद वह रेडियोलॉजी विभाग में मशीनों की स्थिति जानने पहुंचे। पुत्र रोहित शेखर व पत्नी उज्ज्वला तिवारी भी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एके पांडेय से सवाल करने लगीं।