रुद्रप्रयाग: केदारधाम एक बार फिर अपने पुराने स्वरूप में दिखेगा। मंदिर को सुरक्षित करने के साथ ही संवारने का काम इन दिनों जोरशोर से चल रहा है। एएसआई की टीम मंदिर और परिसर को उसके पुराने स्वरूप में वापस लौटाने में जुटी है। धाम की सुरक्षा के लिए निम त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवारों का कवच तैयार कर रहा है, जो अंतिम चरण में है।
जून 2013 की आपदा से प्रभावित केदारनाथ मंदिर को मजबूती देने के लिए एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग) की टीम इन दिनों मंदिर के पश्चिमी दरवाजे की मरम्मत कर रही है। सुधारीकरण कार्य के दौरान मंदिर को किसी प्रकार का नुकसान न हो, इसके लिए दरवाजे के बीच में सपोर्ट दीवार खड़ी की गई है।
दरवाजे के ऊपरी हिस्से में आई दरारों को भरने और छिटके पत्थरों को ठीक करने के बाद सपोर्ट दीवार को हटा दिया जाएगा। इसके अलावा मंदिर परिसर के चारों तरफ फर्श पर पत्थर बिछाने का कार्य भी चल रहा है, जो लगभग 40 प्रतिशत पूरा हो चुका है।मंदिर के शेष हिस्से के लिए इन दिनों धाम में राजस्थान के 17 हस्तशिल्पी पत्थरों को तराश रहे हैं। अभी मंदिर की गुंबद और छत की मरम्मत की जानी बाकी है।
आपदा के बाद अक्तूबर 2013 से केदारनाथ में मंदिर के सुधारीकरण के तहत एएसआई द्वारा अभी तक परिसर में नंदी की मूर्ति को ठीक करने, पूर्वी दरवाजे की मरम्मत और बाहरी दीवारों की केमिकल से सफाई का कार्य पूरा किया जा चुका है।मंदिर में बरसाती पानी की निकासी के लिए ड्रेनेज सिस्टम तैयार हो गया है। मंदिर के चारों तरफ दो फीट गहरी निकास नालियां बनाई गई हैं, जिनसे बरसात का पानी मंदिर परिसर से बाहर गिर रहा है। इस व्यवस्था से परिसर की सफाई में भी मदद मिल रही है।
2013 में आई दैवीय आपदा में हालाँकि केदारनाथ मंदिर को अधिक नुकसान तो नहीं पहुंचा था लेकिन मंदिर के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए थे। मंदिर के क्षतिग्रस्त हुए हिस्सों में कुछ आंशिक क्षति रूप से तो कुछ हिस्से अधिक क्षतिग्रस्त हुए थे।
मंदिर की बनावट भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग मंदिर के क्षतिग्रस्त हुए हिस्सों की मरम्मत करने के साथ ही केदारनाथ भवन की मजबूती को और अधिक मज़बूत करने में जुटा हुआ है। इसके अतिरिक्त मंदिर की दीवारों की केमिकल के द्वारा सफाई भी की जा रही है। मंदिर के पास लगने वाले हाट और मंदिर तक पहुँचने वाले मार्ग को भी समुचित रूप से दुरुस्त कर अधिक व्यवस्थित रूप दिया जायेगा।