प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 6400 हेक्टेयर भूमि का चयन, किसान परंपरागत फसलों की करेंगे खेती।

देहरादून – उत्तराखंड में प्राकृतिक खेती पर सरकार का विशेष जोर है। इसके लिए सरकार ने पहली बार प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन किया है। साथ ही नमामि गंगे प्राकृतिक कृषि कॉरिडोर और मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना का खाका तैयार किया गया है। तीन नवंबर को इन योजना को शुरू करने की घोषणा की जाएगी।

प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 6400 हेक्टेयर भूमि का चयन किया गया है। यहां किसान रासायनिक खादों का इस्तेमाल किए बिना परंपरागत फसलों की खेती करेंगे। प्रदेेश भर में 50-50 हेक्टेयर के कुल 128 क्लस्टर बनाए जाएंगे।

कृषि निदेशक गौरीशंकर ने बताया कि तीन नवंबर को राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसमें गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय, डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी हिमाचल प्रदेश, राष्ट्रीय एवं प्राकृतिक खेती केंद्र गाजियाबाद के विशेषज्ञ प्रदेश के किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी देंगे।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि किसानों की दोगुनी आय करने में प्राकृतिक खेती का अहम योगदान हो, इस दिशा में सरकार काम कर रही है। पहली बार प्रदेश में प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन और मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना शुरू की जाएगी। मुख्यमंत्री इसकी घोषणा करेंगे। प्रदेश में प्राकृतिक खेती के लिए भूमि चिह्नित कर ली गई है।

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