पेन,जिसके बिना इतिहास अधूरा है,जिसका इस्तेमाल आज के जमाने में पहले से कम हो गया है लेकिन पहले इसे फिर भी नियमित रूप से इस्तेमाल किया जाता था। पर इस छोटी पर बड़ी काम की चीज़ के बारे में आपने कभी सोचा है कि पेन की कैप या पेन के लास्ट प्वाइंट पर छेद क्यों होता? शायद ही किसी को पता हो? वैसे तो इसके भी अलग अलग मत हैं पर सही जानकारी बहुत ही कम लोगो को होगी।
आम धारणा के अनुसार, लोग यह मानते हैं कि पेन के ढक्कनों में छेद इसलिए दिया जाता है, ताकि पेन के निब की इंक ना सूखे। पर इस बात को सही नहीं माना जा सकता, क्योंकि इस तथ्य को इंक सूखने और न सूखने दोनों ही अवधारणा में बताया जा सकता है। तो फिर शायद यह वह कारण नहीं है, जिस वजह से यह छेद पेन के कैप में या निचले हिस्से में दिया जाता है।
एक और बात भी कही जाती है कि यह छेद पेन के बंद होने और खुलने पर वायु के दबाव को सामान बनाये रखता है। मगर यह बात सिर्फ उन पेन में सही बैठती है, जिन के ढक्कन दबा के बंद किये जातें हैं, घुमा के बंद होने वाले पेन में यह बात तर्क संगत नहीं लगती है।
तो बताते हैं कि इसका मुख्य कारण क्या है ? पेन को ढक्कन समेत कुछ लोग अपने मुंह में डाल लेते हैं, खासकर बच्चे, बड़े भी अक्सर लिखते लिखते पेन को मुंह में दाल लेते हैं । और अगर ऐसा करते करते यह गलती से मुंह में चला जाये और चूंकि इसमें छेद न हो, तो हवा पास नहीं होगी, जो कि यह घातक साबित हो सकती है और हवा के चोक हो जाने से जान भी जा सकती है।
इसी वजह से पेन के निर्माता इसके ढक्कन में और पेन के निचले भाग में भी छेद करते हैं, जिस वजह से अगर कोई बच्चा या बड़ा इसको निगल भी जाये तो उससे जान जाने का खतरा कुछ हद तक कम हो सकता है।