पुरुष प्रधान समाज में आज महिलाये पुरुषो के साथ कंधे से कन्धा मिलकार कर सफलता के शिखर चुम रही हैं, बात चाहे घर परिवार को संभालती गृहणी की हो या फिर , घर के लिए आय अर्जन करती, घर से बहार काम करने वाली कामकाजी महिला, समाज के चार दीवारी से बहार निकल कर काम करती इन् महिलाओ के लिए, करियर और सफलता के बीच का ये राह इतना आसान नहीं है, जहां महिलाओ के लिए सुरक्षा से लेकर परिवार और काम के बीच ताल मेल बिठाना एक बड़ी चुनौती है वहीँ दूसरी और भारत सरकार ने महिलाओ के हीत में और महिलाओ को आगे बढ़ाने, स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कानून और प्रावधान बनाये है, उन्ही में है मैटरनिटी लीव या मातृत्व अवकाश और पीरियड लीव !
एक और तो मातृत्व अवकाश वाकई में कामकाजी महिलाओ के लिए एक तरह से वरदान व शुकुन की बात है, पर गौर फरमाने वाली बात यह है की क्या वाकई में पेड मातृत्व अवकाश महिलाओ के हित में है, जहां एक और सरकार का यह तोफा महिलाओ के लिए फायदेमंद हैं, वहीँ दूसरी और गंभीरता से सोचने वाली बात यह है की क्या ? आने वाले समय में यह पेड मातृत्व अवकाश और पीरियड लीव जैसे प्रावधान , महिलाओ को लाभ पहुंचायेगा या फिर वापिस महिलाओ को घर देहलीज तक सिमित कर जायेगा, क्यूंकि आनेवाले समय में कंपनी कहीं कंपनी के हित की सोच कर महिलाओ की हायरिंग करना ना छोड़ दे ! सबसे बड़ी बात यहां “महिलाओ की हायरिंग या फिर फायरिंग की नहीं है ” बात है ” प्राथमिकता और अवसर की समानता” की, एक औरत के लिए पीरियड या मातृत्व जीवन का हिस्सा है , न की कोई विशेष लाभ लेने का मुद्दा !