लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के ‘गोरक्षकों’ की प्रशंसा करने पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. मायावती ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार बनने के बाद से गोरक्षा के नाम पर पहले मुसलमानों और अब दलितों का देश भर में उत्पीडन किया जा रहा है.
देशहित का काम नहीं
मायावती ने कहा, ‘‘गोरक्षकों द्वारा आपराधिक, असामाजिक और जातिवादी हिंसक कृत्यों की अनेक दर्दनाक घटनाओं के सामने आने के बावजूद जनभावना के खिलाफ जाकर इन आपराधिक तत्वों की तारीफ करना निश्चित रूप से देशहित का काम नहीं हो सकता है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद गोरक्षा के नाम पर पहले मुसलमानों को और अब दलितों को हर प्रकार की जुल्म ज्यादती और उत्पीडन का जबर्दस्त शिकार देश भर में बनाया जा रहा है. इसके बावजूद संघ प्रमुख द्वारा गोरक्षकों को संरक्षण प्रदान करना समाज और देश को जोडने का काम नहीं हो सकता.’’
गोरक्षा के कार्य मेंनिहित है हिंसा
असली और नकली गोरक्षक की पहचान करने के भागवत के आह्वान को गलत, संकीर्ण और कट्टरवादी सोच की उपज बताते हुए मायावती ने कहा कि संघ को ‘गोरक्षा’ की बजाय सेवा भाव और अहिंसा पर आधारित ‘गोसेवा’ पर बल देना चाहिए क्योंकि गोरक्षा के कार्य में हिंसा निहित है.
उन्होंने कहा कि इसी का दुष्परिणाम है कि गुजरात में अत्यंत दर्दनाक उना दलित उत्पीडन कांड के सार्वजनिक होने पर पूरा देश आक्रोशित हुआ. गोरक्षा के नाम पर बीजेपी शासित राज्यों गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ, झारखंड में लगातार हिंसक वारदात हो रही हैं. उत्तर प्रदेश के दादरी कांड में तो पीट पीट कर मार भी दिया जाता है.
देश की जनता को आरोप पर दें जवाब
मायावती ने कहा कि केन्द्र के बीजेपी शासन और बीजेपी शासित विभिन्न राज्यों में व्यापक भ्रष्टाचार के कारण विकास के मद में आने वाले सरकारी धन के गबन की वास्तविकता को संघ प्रमुख द्वारा आज अपने भाषण में स्वीकारने से बीएसपी का आरोप और इस बारे में आम धारणा को बल मिलता है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी शासनकाल में भी विकास का धन कहां चला जाता है, किसी को पता नहीं.
उन्होंने कहा कि बीजेपी नेतृत्व और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि देश की जनता को इस आरोप पर जवाब दें.
बीएसपी सुप्रीमो ने गोरखपुर में दो दलितों को जलकर मारने के प्रयास की निन्दा करते हुए कहा कि ये एसपी सरकार की जातिवादी नीतियों और कार्यकलापों का परिणाम है कि इस तरह की जघन्य घटनाएं समाज के कमजोर वर्गों के साथ काफी बढ गयी हैं.