“पलायन से मुक्ति के लिए प्रवासी पंचायत का अनोखा प्रयास “

यूं तो पूरा देश ही पलायन की पीड़ा झेल रहा है लोग गांव से शहर और शहरों से महानगरों की और लगातार पलायन कर रहे है पलायन की पीड़ा से जूझ रहा उत्तराखंड का हाल भी कुछ ऐसा ही है लगातार पलायन के कारण गांव के गांव खाली हो गए है गांव में बचे है तो बस कुछ बूढ़े और महिलाए,जो मज़बूरी के कारण अपने गाँव को छोड़ नहीं पा रहे है…
लेकिन राज्य में सौ से अधिक गाँवो में घर छोड़ चुके लोगो ने अपने पुश्तैनी घरो को सरसब्ज कर दिया है यह तब हुआ है की जब उत्तराचंल उत्थान परिषद् के सयोजक रमेश सेमवाल के प्रयासों से प्रवासी पंचायत का गठन किया गया है प्रवासी पंचायत का कार्यक्रम है की अपने गांव और प्रदेश से दूर रोजगार के लिए जा चुके लोग कम से कम एक वर्ष में एक सप्ताह के लिए अपने-अपने गांव में ग्रामोत्सव का आयोजन करे…. और इस जून माह में पिछले चार वर्षो से देखने को मिला है
हालही में प्रवासी पंचायत के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से शिष्टाचार भेट की और उन्होंने पलायन के समाधान स्वरूप कुछ सुझाव दिए है हलाकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रवासी पंचायत के लोगो के कार्यो की सराहना की है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा की उनकी सरकार राज्य से लोगो के पलायन के मुद्दे पर गंभीर है और सरकार पलायन रोकने के लिए ठोस कदम उठा रही है
1-वर्षभर का तीर्थाटन एवं पर्यटन
2-अनेक धार , खाल , बुग्याल , सोड , सैन , ताल , प्रयाग हैं जिन्हें नए पर्यटन और तीर्थ के रूप में विकसित कर रोजगार से जोड़ें ।
3- प्रतिवर्ष 10 लाख प्रवासी उत्तराखंडियों को गांव और यात्रा से जोड़ा जाय ।
4-प्रत्येक गांव में ग्रामोत्सवों के आयोजनों की परंपरा आरम्भ की जाय । यह जून माह में हो ।सरकार आयोजन में आंशिक आर्थिक सहयोग करे ।देश के विभिन्न शहरों में प्रवासी पंचायतों के माध्यम भावनात्मक अपील ।
5- उत्तराखंड विधानसभा में प्रवासी मंत्रालय  /विभाग अलग से हो ।
6 -राज्य स्थापना दिवस पर प्रवासी उत्तराखंडी महापंचायत का आयोजन हो । प्रतिभा सम्पन्न प्रवासियों को सम्मानित ओर विकास में सहभागी वनाते हुए निवेश हेतु प्रोत्साहित किया जाय
7- चकबंदी औऱ भू बंदोवस्त एक साथ शुरू किया जाय ।
8- दुर्गम गांवों में हैलीपैड बनाये जायँ ।
9 – हरेला पर्व पर फलदार एवं उपयोगी वृक्षों का सघन आरोपण
10 -मकर संक्रांति पर हरेला दर्शन । हरेले पर लगाये वृक्ष की देखभाल ।
11- जंगली जानवरों से कृषि की सुरक्षा ।
12 -विश्वसनीय एवं सुरक्षित परिवहन व्यवस्था ।
13- प्रत्येक घाटी में न्यूनतम एक रोडवेज की बस अनिवार्य चले ।14 -स्वरोजगार के प्रक्षिक्षण कैम्प ।
15 – पैदल एवं साहसिक यात्राओं को बढ़ावा। पुराने पैदल मार्गों को मरम्मत कर पैदल यात्रियों की निशुल्क भोजन आवास व्यवस्था
16-  यात्रामार्गों पर उत्तराखंडी उत्पाद विक्री केंद्रों की स्थापना ।
17- वर्षों से गैर आवाद भूमि के मालिकों को एक 6 माह की समय सीमा दी जाय उसके वाद भूमि का अधिग्रहण कर सहकारिता कृषि हेतु भूमिहीनों में वितरित कर दी जाय ।
18- उत्तराखंड के जो नोजवान महानगरों में 8 -10 हजार की नोकरी में समय जाया कर रहे हैं उन्हें हर हाल में वापस लाने का प्रयास हो और दूध , सब्जी -फल , नाई , टेलरिंग , विद्युत , मोबाइल , जड़ीबूटी की खेती , गाड़ी मोटर के व्यवसाय आदि अनेक कार्यों से जोड़ा जाए ।

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