एक कहावत है “एक ऐसा कारोबार जो सिर्फ पैसा बनाता है, वह एक खराब व्यवसाय है।” ज्यादातर भारतीय कंपनियां हमेशा धन के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। पतंजलि एक ऐसा ब्रांड है जिसने कुछ ही वर्षों से बहुत अधिक वृद्धि देखी है। कुछ लोग तो इस ब्रांड से पागलों की तरह प्यार करते हैं, कुछ हालांकि इसकी वास्तविकता से अवगत हैं ।
कहा जाता है पतंजली प्रोडक्ट्स के वितरकों को अन्य आयुर्वेदिक कंपनियों के उत्पाद वितरित करने की अनुमति नहीं है। जबकि इन अन्य कंपनियों के वितरकों के विपरीत, ऐसा कोई नियम नहीं है ।
हाँ यह ज़रूर है कि पतंजली प्रोडक्ट्स के वितरकों को अन्य एफएमसीजी उत्पादों को वितरित करने की अनुमति है। अब सवाल यह है यदि बाबा रामदेव की आयुर्वेदिक चिकित्सा को बढ़ावा देने की अवधारणा पर विश्वास किया जाये, तो वह अपने तात्कालिक प्रतिद्वंद्वियों की प्रगति को क्यों रोक रहे है?
तो क्या हम यह समझे कि बाबा रामदेव आम भारतीय भावनाओं के साथ खेल रहे हैं किसी भी सुपरस्टार से पूछो और वह आपको बताएगा कि वह आम प्रशंसक के बिना वह कुछ भी नहीं है । पतंजली ब्रांड के तहत बेचे जाने वाले अधिकांश उत्पादों को पतंजलि के द्वारा सिर्फ विपणन (Marketing) ही किया जाता है। आज पतंजलि के बाजार में 300 से अधिक उत्पाद है; इनमें से अधिकतर तीसरी कंपनियों द्वारा निर्मित हैं पतंजलि विपणन विभाग में श्रेष्ठ कार्य कर रहा है, वह विज्ञापनों पर ज्यादा खर्च नहीं करते हैं और अपने उत्पादों के बारे में लोगों को समझाने में अच्छे हैं। आप पतंजलि बिस्कुट को ही ले ले, यह मूल रूप से सोना बिस्कुट द्वारा निर्मित होते हैं, जिनके पास सोबस्को बिस्कुट नामक उत्पादों के अपने ब्रांड हैं।
एक ऐसा व्यवसाय जो राष्ट्रवाद से ऊपर लालच रखता है, उसे अच्छा नहीं माना जा सकता। यहाँ हम धन, दान या उन विज्ञापनों के बारे में बात नहीं कर रहे है यह बात हो रही है एक शब्द की वह है – गुणवत्ता और बहुत से लोग अब इस ब्रांड में इस चीज़ की कमी महसूस करते हैं।